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________________ १५० ] [ श्रीपाल चरित्र तृतीय परिच्छेद हो अब इस आवकाचार चारित्र की विधि सुनों मैं यथायोग्य संक्षिप्त रूप में वर्णन करता है । ।। ५ ।। मकारत्रय संस्थाः सहोपः । श्रावकारणां पुरा प्राहस्सन्तो मूलगुरगाष्टकम् ॥ ६॥ श्रन्वयार्थ - ( उदुम्बरपञ्चः ) पाँच उदम्बरफलों के ( सह ) साथ ( मकारत्रय) तीकमकारों का (संत्यागः ) पूर्णतः त्याग करना ( श्रावकारणाम् ) श्रावकों के (अष्टकम् ) आठ (मूलगुणाः) मूलगुण ( पुरा ) पहले ( सन्तः ) साधुजन या श्राचार्य ( प्राहुः ) कहते हैं । भावार्थ--- पाँच उदम्बर फल -वड, पीपल, ऊमर कटूमर और पाकर के साथ तीन मकार-मद्य, माँस और मधु का त्याग करना श्रावकों के श्राठ मूलगुण हैं इनका स्वरूप प्रथम परिच्छेद में किया जा चुका है। फिर भी यहाँ इनके दोषों का विशेष निरूपण प्राचार्य कर रहे हैं || ६ || बहू निम्न प्रकार है नामतोऽपि पलं त्याज्यं सद्भिः पापशतप्रदम् । यत्कुले तत्कुलं पूज्यं पवित्रीकृत भूतलम् ॥७॥ श्रन्वयार्थ - ( यत्कुले ) जिस कुल में (पापशतप्रदम) सैकड़ों पापों का उत्पादक ( पलम् ) मांस ( नामतोऽपि ) नाममात्र से भी ( सद्भिः ) विद्वानों द्वारा ( त्याज्यम् ) त्याज्य होता है (तत्कुल) वह कुल ( भूतलम् ) पृथ्वीतल को ( पवित्रीकृतम) पवित्र करने वाला ( पूज्यम्) पूज्य है । भावार्थ - जिस कुल वंश में मांस का नाम भी उच्चारण नहीं होता, पाप समझा जाता है वह कुल महान् पवित्र होता है। यही नहीं वह अपनी पावनता मे समस्त पृथ्वी भण्डल को भी पवित्र बना देता है। वस्तुतः वह कुल पूज्य होता है ||७|| वारुणीवजनीया हि कुलादिक्षयकारिणी । या च दुःखप्रदा प्रोक्ता सद्भिवैतरणी यथा ||८|| अन्वयार्थ - (हि) निश्चय से ( कुलादिक्षयकारिणी) कुल, वंश, जाति का नाश करने ( यथा वैतरणी ) जिस प्रकार बाली (च) और (या) जो मदिरा ( सद्भिः) सज्जनों द्वारा बैतरणी नदी है उस प्रकार ( दुःखप्रदा) दुःखदायी ( प्रोक्ता ) कही गई है ( स ) वह शराब (वजनीया) त्यागने योग्य है । भावार्थ - जिस प्रकार लोक में व आगम में नरकों में वैतरणी नदी को अनेक दुःखों का कारण माना जाता है उसी प्रकार सत्पुरुषों द्वारा मदिरापान महाभयङ्कर दुःखों की कारण बतायी गयी है । यह कुल का संहार करने वाली है । कुल को कलङ्कित करती है और जीवन
SR No.090464
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
PublisherDigambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages598
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size16 MB
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