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श्रीपाल चरित्र तृतीय परिच्छेद ]
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को भ्रष्ट करती है। विवेक को नष्ट कर जीव को कुगति का पात्र बनाती है। इसी भव में मद्यपायी को महा दुर्दशा प्रत्यक्ष देखी जाती है । गन्दे नालों में, गलियों में नशे में उन्मत बेहोश पडे रहते हैं। उनके मुंह में कुत्त भी मूत्र कर जाते हैं। मदभ्रम में उस वे अमृत समझ पान करते हैं । अतः इस प्रकार की निकृष्ट वस्तु सज्जनों को सर्वथा त्याज्य है । सर्व दुखों की खान शराब का सेवन कभी नहीं करना चाहिए |1||
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मक्षिका-वमनं नित्यं मधुत्याज्यं विचक्षणः।
जन्तुकोटिभिराकीर्णं प्रत्यक्षं कलिकाकृतिम् ॥६॥
अन्वयार्थ--(प्रत्यक्षम ) स्पष्ट (मक्षिकावमनम् ) मक्खियों का वमन (कोटिभिः) करोडों (जन्तु) जीवों मे (याकीर्णम् ) भरा हुअा (कलिका) अष्डों से (आकृतिम् ) व्याप्त (मधु) शहद (विचक्षरगः ) विद्वानों द्वारा (नित्यम्) सदा (त्याज्यम्) त्यागने योग्य है।
भावार्थ-मधु मधुमक्खियों का वमन है। मक्खियाँ पुष्पों का पराग ला लाकर इकट्ठा करती हैं । उस रस में करोड़ों जोब उत्पन्न हो जाते हैं, उन मक्खियों को बच्चे और अण्डों से वह भरा रहता है । वे सभी जीव जन्तु उस मधु के छत्ते से मधु निकालने पर मर जाते हैं । अतः प्रत्यक्षरूप में वह मधु अनन्त जीवों का कलेवर है। विचारशोलों द्वारा सतत सर्वथा त्यागने योग्य है । महा हिंसा का कारण है ।।६।।
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वटादिपञ्चकंपापं बिल्वादोनां हि भक्षणम् ।
जन्तवो यत्र विद्यन्ते तत्त्याज्यं दुःखकारणम् ॥१०॥ अन्वयार्थ (बटादिपञ्चकंपापम् ) वड, पीपलादि पञ्च उदम्बर पापरूप (बिल्वादीनाम्) विल्व, कन्दमूलादि (हि) निश्चय से (पत्र) जिन २ पदार्थों में (जन्तवः) प्राणीसमूह (विद्यन्ते) रहते हैं (तत्) वह (दुःखकारणम्) दु:ख के कारण भूत (भक्षरणम् ) खाने वाले पदार्थ (त्याज्यम् ) त्यागने योग्य हैं।
शवार्थ-बड़फल, पीपलफल, आलू, गाजर, मूली, बेलगिरि आदि अन्य भी फलादि पदार्थ त्यागने योग्य हैं क्योंकि ये अनन्त जीवों के घात के कारण हैं। अर्थात् ये अनन्तकाय जीवों से भरे होते हैं उनके भक्षण से बे जीच मर जाते हैं जिससे घोर पाप होता है। अतः प्राणिवध के कारगाभूत समस्त पदार्थ धर्मात्मानों द्वारा त्याज्य हैं ।।१०।।
तथा चर्माश्रितं तोयं तैलं हिंगु घृतं त्यजेत् ।
सुधीर्जेनमते दक्षो नित्यं मांस विशुद्धये ॥११॥
अन्वयार्थ- (तथा) और भी उसी प्रकार के (चर्माश्रितम्) चर्म में रक्खे हुए (तोयम्) जल (तलम् ) तैल (हिंगु) हींग, (घृतम् ) घी आदि को (मांसविशुद्धथे) मांस त्यागवत की
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