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________________ १०० [श्रीपाल चरित्र द्वितीय परिच्छेद भावार्थ--उस प्रजापाल राजा की सौभाग्य मुन्दरी नाम की रानी थी। यह अत्यन्त मनोहर रूप सौभाग्य से मण्डित राजा को अतोव प्रिय थो। वस्तुत: अपने गुणों स सज्जनों की क्रियारूप ही थी। तयोः प्राक्समभूतपुत्री सुरुषासुरसुन्दरी । जाता द्वितीया सत्पुत्री नाम्नां मदन सुन्दरी ॥४६।। अन्वयार्थ-(तयोः) उस दम्पत्ति के (प्राक्) पहले (सुरूपा सुरसुन्दरी) उत्तम रूप बाली सुर सुन्दरी नाम की (पुत्री) कन्या (समभूत) उत्पन्न हुयी (द्वितीया) दूसरी (सत्पुत्री) श्रेष्ठ पुत्री (मदन सुन्दरी) मदन मुन्दरी (नाम्ना) नाम बाली (जाता) जन्मी हुयी। भावार्थ-उन्न राजा रानी के प्रथम सुरसुन्दरी नाम की कन्या ने जन्म लिया। यह अतीव सुन्दर थी । रूपलावण्य से देवाङ्गना समान थी। दूसरो कन्या मदन सुन्दरी नाम की हुयी । यह सद्गुणों की आकर थी। सुरादि सुन्दरीपुत्री पित्रा पाठयितु ददौ । शिवशाभि धानस्य द्विजस्य ज्ञान वृद्धये ॥४७॥ अन्वयार्थ-(पित्रा) पिता प्रजापाल द्वारा (मुरादि सुन्दरीपुत्री) सुर सुन्दरी नाम की पुत्री को (ज्ञानवृद्धये) ज्ञान वृद्धि के लिए शिवशर्मा नाम के (द्विजस्य) ब्राह्मण के पास (पायितुम् ) पढ़ाने के लिए (ददी) दे दिया । भावार्थ -महाराजा प्रजापाल ने अपनी बड़ी पुत्री को पढ़ने योग्य देखकर शिव शर्मा ब्राह्मण को बुलाया । सुर सुन्दरी को उस ब्राह्मण के पास पढ़ाने को रख दिया । अर्थात् सौंप दिया ।।४७॥ वेदस्मृतिपुराणानि नाटकानि विशेषतः। तथाधीतानि गोतानि सन्नृत्यानि पराग्यपि ॥४८॥ अन्वयार्थ- उस सुन्दरी कन्या ने (विशेषतः) विशेष रूप से (वेद) चारों वेद (स्मृति) ऋचाएँ (पुराणानि) १८ पुराण (नाटकानि) नाटक काव्यादि (गीतानि) गायण कला (सन्नृत्यानि) सुन्दर श्रेष्ठ मर्यादित नृत्यकला (तथा) और (पराण्यपि) अन्य-अन्य भी विद्याएँ (अधीतानि) पढ़ीं सीखीं । भावार्थ -ब्राह्मण गुरु होने के कारण उस सुर सुन्दरी कन्या ने वैदिक ग्रन्थों का अध्ययन किया । ऋग्वेद, यजुर्ववेद, अथर्ववेद और सामवेद ये चारों वेद पढे । माद्यपुराण, मार्कण्डेय पुराण, आदि १८ पुराणों को पढ़ा । उसी प्रकार स्मृति, नाटक, नृत्य संगीत, कला के शास्त्रों का सम्यक् प्रकार पठन किया ।।४८।।
SR No.090464
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
PublisherDigambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages598
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size16 MB
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