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________________ है।॥ ९॥ इमाओ पुण से चनारि अणुप्पेहाओ- अवायाणुप्पेहा असुभाणुप्यहा अगंतवत्तियाणुपेहा विप्परिणामाणुप्पेहा, जपत्य II क्रिया. प्रतिक्रमणा | आसनादिअवार्य पेस्वति मंमारम्म असुभत्तं अर्णतत्तं सवभावविपरिणामित्तं । लक्खणाणिवि चत्तारि- विवेगे वियोसग्गे अचहे विचारः ध्ययने असंमोहे, विवेग सम्वसंजोगविरगं पेक्वति, वियोसग्गे मञ्चोत्राहिमादिविउस्मगं करेति, अवधे विण्णाणसंपण्णो ण बिहेति ण चलति, असंमोहे सुमण्हेत्रि अन्य न समुज्नतिारी । आलंबणाणि चत्तारि-खती मुनी अज्जवं मवति ॥ एतेहिं चउहिं प्राणेहिं जो मे अतियारो पडिमिद्धकरणे कनो नम्म मिच्छामिदकडंति ।। पडिनमामि पंचहि किरिगाह काइयाए ५ सूत्रं । काइका निविधा-अविरतकाइया दुप्पणिधिकाइया उवरतकाइया, वत्थ अविरतकाइया असंजतस्य वा साबगस्य वा, दुप्पणिधिनकाइया पमनसंजनस्स, सा दुविहा इंदियदुप्पणिहाणजाइया णोइंदि| यदुप्प, ईदिएहिं पंचहि णाईदिएहि मणेणं वायाए काए, उवरयकाइया अप्पमत्तम्स सकसायाकसायम्स ११ अधिगणिया दुविधा अधिगरणपवत्तणी जथा चकमहादिपसुत्रधादी पत्तिज्जति । नियमिणी दुविधा-मूलगुणनिबत्तणी उत्तरगुण,मूलगुण ओरालिगादि, उत्तरगुणे णेगविषसगडरथजाणजुम्गमादि । एत्य पाहुडिया गाथा निम्बत्नण संजोजण धिरकरणे चेव तहय निक्मेवे | सानिज्जण समणुण्णे परिग्गहे संपदाणे य ॥ १ ॥ निन्दनण जथा रयंगाणं, संजोजणं मंधातण, थिरिकरणं लोहादिणा चंधणे, निक्खवणं जत्थ ठवेति रथमादि, सातिज्जणा समणुण्णा परिग्गहो ॥८७॥ सत्थ पुच्छणं, पदाणं पयच्छण, एनं रधंगाणं दरिमित, एवं अण्णत्थवि मावेतन्वं २ | पादोसिय तिविध मण० वयण काय, मणपादोसिया दुविधा-अनिदाग निदाए य, एवं वायाए काएणवि, णिदाए अवाए, अणिदाए अणड्डाए ३।पारितावणिगा दुविधा ASSISASAR RERAKAR
SR No.090463
Book TitleAgam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1986
Total Pages328
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Story, & agam_aavashyak
File Size9 MB
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