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________________ पति प्रतिक्रमणा हवएहिं बंधएण दिण्णा, इयरीए धृताए आविद्धा, वत्ते पगते ण चत्र अल्लिति, एवं कतिवसाणि वरिमाणि गयाणि, कडाइनएहिं 31 गर्दायाँ मग्गिता, सा मणति- देमिनि, जाव दारिया महती भूना, ताए न सक्कति अवणेतुं, ताहे ताए कडगाइत्तिया मणिना- अण्णेवि | रूपए देमि सुयह, ते णच्छनिति कि सक्का हत्था छिदितुं, ताहे भणित-एरिसच्चेव कडए घडावितुं देमो, ताहेवि णेच्छति, तथेच मारिका ॥३०॥ | दातवा, कई संणवेतवा ?, जथा दारियाए हत्था ण छिजति कह तेसिमुत्तरं दातब्ब !, आह-ते भणिनव्या 'अम्हवि तेच्चेव रूपए देह तो अम्हेवि ते चव कडए देमों। गरिमाणि अक्वाणगाणि कहतीए दिवमे दिवसे राया छम्मामे आणीतो, सवत्तिणीओ से छिद्दाणि मग्गति, सा य चित्तकरदारिया उन्वरयं पविभिऊण एक्काणिया चिराणए मणियए चीराणि य अग्मनो कात्रण | अप्पाणं निंदति-तुम चित्तरदारिया, एताणि ते पितिसंतियाणि वत्यादीणि, इमा सिरी रायसतिया, अण्णाओ उदितकुलपमूनाओ रायधीताओ मोसूर्ण राया तुम अणुवनइ तो मा गव्वं वहिहिसि, मा य अबरजिनहिसित्ति, एवं दिवसे दिवसे दार घट्टेऊण करेति, | ताहि किहवि णातं, रणो पादपडिताओ भणति-मा मारिज्जिाहिसि एताए, एसा कमणं करेति, ताहे रण्णा जाणित, मुतं, तुट्ठो, द महादेविपट्टो बद्धो । एवं भारनिदाए साधुणावि अप्पा निंदितव्यो, जथा- जीव! तुमे समारं हिंडंनेण नरयतिरियगनीम कहांच माणुसत्ते सम्मचणाणचरिताणि आसादिनाणि जेमि पसाएण सम्बलोए माणणिज्जो पूणिज्जो य जातो, तो मा गच्वं काहिसिबहुस्सुतो एवमादि विमासा, मा य अवरझिहिसि, कहमवि अबरद्धेवि परितपिजिहिसिनि। । गरहावि छश्विहा तहेव,तन्थ पतिमारिया उदाहरण-एगो मरुयओ धेरो अज्झावो, तस्स मज्जा तरूणी, मा बलिवइसदेव करेंती भणति- अहं कागाणं बोहेमित्ति, ततो उवज्झायनिउत्ता चट्टा दिवसे दिवसे घणुगहत्था रक्खति, नत्थेगो चट्टो चिनेति
SR No.090463
Book TitleAgam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1986
Total Pages328
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Story, & agam_aavashyak
File Size9 MB
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