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________________ रायाणो उपहिता, वीरओषि पारसु पडितो, राया पुच्छति-चीरओ दुबलोत, वारवालेहिं जहावत कहितं, रमो अणुकंपा जाता, वन्दनादिषु वन्दनाअवारितोवाती सो कतो। वासुदेवो य किर धीताओ जाहे विवाहकाले पादवंदियाओ एन्ति वाहे पुच्छति-किं पुत्तगे दासी होहिसि दृष्टान्ताः ध्ययन ट्र सामिणिचि , ताओ भणंति-सामिणिो होमात्त, राया मणति-तो खाई पन्वयह महारगस्स पादमूले, पच्छा महता णिक्खमण सक्कारेण सक्कारियाओ पञ्चयंति, अभदा एगाए देवीए धीया, सा चिंतेति-सम्बातो पव्वाविज्जति, ताए पिता सिक्वाचिता॥१७॥ मणाहि-दासी होमित्ति, तहेब अलंकितविभूसिता उवणीता, पुच्छिया भणतिदासी होमिति, मणिता-दुम्खिता होहिमित्ति, वासु-18 देवो चिंतेति-मम धीता संसारे हिंडिहिति तो ण लड्डगं एतं, को उवाओ होज्या बेण अभावि एवंग करेजान, लदो उबाजो, वीरगं पुच्छति-अत्थि ते किंचि कतपुन्न', मणति- णस्थि, चिंतेहि, ता सुचिरं चितेत्ता भणति-अत्वि, बदरीए उपरि सरहो सो ४ पाहाणेष आहणित्ता मारितो, सगडवाय पाणितं वहत वामपादेण परितं उब्वेरलं गतं, परवणपडियाए मच्छियातो पविष्टायो हत्येण आहाडिताओ गुनगुतीजो होरन्ति, विनिए दिवसे अवानीजाए सोलसम्हं रामसहस्साणं मजो मणति-मुह मो एतस्स वीरगस्स कुलुप्यत्ती भए सुता,कमाणि य, वासुदेवो रणति-जेन रचसिरो गागो, वसंवो पदरीचणे । पाडितो पुढविसत्याग, डूमती वाम खत्तिओ ॥१॥ जेग चम्सक्सया गंगा, वहती कसोदगं । धारिया वामपादेण, वे मती णाम खचियो ॥२॥ हैण पोसवती सेणा, संनी कलसीपुरे । बारिवा वामहत्षेण, वे मती पाम खत्तियो ॥३॥ एतस्स धीतं देमि, दिमा, यो मगतितो-धीतं ते देमि, छति, मिउडी कता, दिवा, णीया, सबणिज्जेणच्छति, इमो से सच्च करेति । अभदा राया पुच्छतिकिह क्यणं करेति ण करेनित्ति , वीरश्रो भणति-ताए अहं सामिनीए दासत्ति, राया भपति-जति सत्वंय कावसि तो ते परिष
SR No.090463
Book TitleAgam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1986
Total Pages328
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Story, & agam_aavashyak
File Size9 MB
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