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________________ उपासकप्रतिमाः अतिक्रमणा ४ निज्जरा अन्धि अंहता एवं नकवडी बलदेवा वासुदेवा चारणा विज्जाहरा परगा परइया तिरिक्खजोणी तिरिक्सजोणिया ध्ययने माता पिता रिसयो अश्मियो देवा जाव अस्थि देवलोमा अस्थि सिद्धी अस्थि असिद्धी अस्थि परिनिव्वाणे अत्यि परिनिबुता अस्थि मानियाले साथ अश्यि मिच्छादसणमने अग्धि पाणातिपातरमणे जाव अस्थि राइमायणवरमणे अस्थि काहविवेगे जाच ॥१२॥ अयि लोमविवेग अस्थि पेज्जयिंग जार अस्थि मिच्छादसणसमविवेगेत्ति, जिणएमचा मावा अवितहं सद्दहति. तस्म णं एर्ग वा | अणेगाई वा अणुब्बनाई जो कताई भवतीति पतमा उवामगपडिमा १॥ अथावरा दोच्चा उ० देसणसावए यावि भवति, तस्स एवं भवति-अस्थि लांगे जान जिणपणना भावा अवितह सदहनि, तस्स णं एग चा अणेगाईच अणुब्बताई मर्वतीति | दोच्चा उ०२ अहावरा तच्चा उदसणसावए यावि मवनि, तस्सणं जाव सहहति, नस्य एणं अणेगाई वा अणुब्बताई कनाई भवति सामाइर्य संमं अनुपालेति जाब तिमिमामा एतगुणा घारतिनितचा उ०३ ।। अहावरा चउत्था उदंसणसा. जथा तच्चा जाव सामाश्य संम अणुपालेति, चाउसिअहमद्दिद्वपण्णिमामिणीसु पडिप्रणं पोसह सम्मं अणुपालेति जाव चत्तारि मासा एते गुणा धारेतिचि चउत्था उ०४ ॥ अथावरा पंचमा उ० दमणमाषए जथा चउत्था जाब पोसह सम अणु० रातिमने से परिणाते। भवति सचित्ताहारे में गो परिबाते भवति जाव पंच मासा एते गुणा धारेतित्ति पंचमा उ०५॥ अहावरा छट्ठा उ• दंसन जथा पंचमाए नहेब जाव सनिभने से परिणाते भवनि मचित्ताहोरेवि से परिणाए भवति जाब छम्मासा एते गुणा धारोतीति छडा उ०६॥ अहावरा सनमा उ० दंगण जपा छट्ठाए तहेव रानीमनपरिणाते सचित्ताहोर परिण्णाए दिया चमचारी रानो परिमाणकडे जाव सन मामा एते गुणा पारनिनि मनमा उ०१॥ अथावरा अट्ठमा उ० दमणसावए यावि भवति जाव पडिपुष्णं AADHAAR ॥१२१॥
SR No.090463
Book TitleAgam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1986
Total Pages328
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Story, & agam_aavashyak
File Size9 MB
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