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________________ प्रतिक्रमणा ध्ययने ॥१२० कमे संजतामेव परिकमेज्जा, णां उज्जुते गच्छंज्जा, केवलं से णातए पेज्जबंधणे अन्योच्छिन्ने भवति, एवं से कप्पति णातविधि एनए, तत्थ से पुवागमणेणं पुचाउने चाउलोदणे पच्छाउने मिलिंगसूत्रे, कप्पति से वाउलोदणे पडिग्गाहेत्तए, जो से कप्पति मिलिंग पडिग्गाहेत्तर, तन्य से पुज्नागमणणं पुव्वादत्ते मिलिंग पच्छाउने चाउलोदणे कप्पर से मिलिंग परिग्गाहित्तए, नो से कप्पर चाउलोदणे पडि०, तत्थ से पुब्वागमणेण दोषि पुव्वाउ० कप्पति से दोत्रि पडिग्गाहेतए, तत्थ से पुण्वागमणेर्ण | दोवि पच्छाउत्ताई णो से कप्पति दोवि पडिग्गाहेत्तए, जे से पुच्चागमणेणं णो पुब्वाउत्ते णो से कप्पति पडिग्गा हत्तर, तस्स गाडावतिकूलं पिंडवायपडियाए अणुप्पविहस्स कप्पति एवं पढ़िए समणोवासगस्स पडिमं पडिवण्णस्स मिक्ख दलयह, तं चतारूवेणं विहारेणं विहरमार्ण के पासेना बदेज्जा के आउसो ! तुमं चतव्बे सिया १, समणोवास पडिमापडियष्णए अहमंसीति वतव्यं, से णं एतारूवेणं विहारेणं विहरमाणे जहणेणे एगाई वा दुयाई वा तियाहं वा उकोसेणं एकारस माझे विहरेज्जा एक्कारसमा उवासगपडिमा ॥ ११ ॥ इति । एत्य कवि अण्णोवि पाढो दीसति, तंजथा- हमाओ खलु एक्कारसाओ उवासमपडिमाओ पण्णत्ताओ, तंजथा- दंसणसावगो १ कतवयक्रमे २ कनमामाइए ३ पोसहोववासणिरए ४ राहभत्तविरते ५ सचित्ताहारपरिण्णातो ६ दिया बंभचारी रातो परिमाणकडे ७ दियाबि रातोवि बंभयारी अन्रिणाणए यादि भवति बोसट्टकेसकक्खमंसुरोमणहो ८ आरंमपरिण्णातो ९ पेस्सआरंभ| परिष्णाते १० मत्तविवज्जए समणम्भूते यावि भवति ११ ॥ तत्थ खलु इमा पढमा उदासगपडिमा दंसणसावए यावि | भवति, तस्स णं एवं भवति- अस्थि लोए अस्थि अलोग अस्थि जीवा एवं अजीवा बंधे मोदखे पुण्णे पावे आसवे मंत्ररे वेदणा उपासक प्रतिमाः ॥१२०॥
SR No.090463
Book TitleAgam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1986
Total Pages328
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Story, & agam_aavashyak
File Size9 MB
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