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________________ संगमक उपसर्गाः उपोषात जाहेण तरति ना सुट्टतर पडिनिरमं गतो कल्ले कार्डनि । पुणोवि अणुकहति । आवश्यक वालुयपंथे नेणा माउल पारणग तत्थ काणच्छी । नत्तो सुभोम अंजलि सुच्छेत्तापय विहरूपं ॥४-५०/५०७॥ चूणीं ताहे पमाते सामी बालुयानामग्गामा त पहावितो , नन्थ अंतरा पंच चोरमता विगुब्वति, वालुगं च जन्य सुप्पति, पच्छा नियुक्ती तेहिं माउलोति बाहितो पन्तयगुरुतग्गर्डि, सागनं च बज्जमरीरा देंति, जेहिं पबनावि फुट्टिज्जा । ताहे वालुगं गतो, सामी भि खं हिंडति, तत्थाऽवतुं भगवतो स्वं काछि अविरतियाण देति, जाओ तन्थ नरुणीओ तन्थ हम्मति, ताहे निग्गनो मगर्व | सुमोम वञ्चति, तत्थवि अनिगतो मिक्लायरियाए, नन्थवि आवरेना महिलाणं अंजलिकम्मं करेति, पच्छा नेहिवि पिट्टिजनि, ताहे | मगर्व णीति, पच्छा मुरंछना णाम गामी, नहि चननि, जाई अनिगतो मामी भिक्खाए ताहे इमो आवरेना विडरूवं विउच्चति, | तत्थ हसति य अट्टहासे य मुंबनि गायनि य काणच्छिया य जहा विडी तहा करेनि असिट्टाणि य मणनि, तत्थवि हम्मति, वाहे ततोदि णीति । मलए पिसायावं सिवम्वं हथिमीसग चेव । ओहसणं पडिमाण माण भक्को जवणपुच्छा ।।४-५११.०८॥ ततो मलयं गामं गनो, नन्थ पिलायचं विउव्वति, उम्मत्तयं भगवतो रूत्रं करता तत्थ अविरतियाओ अबतासेनि गण्हति 51य, तत्थ बेडरूवेहि छारयकयारम्म मरिजनि, लेटुपहिय हम्मनि, नाणि य बीहावति, ताणि छोडियपडियाणि णामति, नन्थवि दिकहिते हम्मति । ननो विनिग्गनो हन्धिमीम णाम गामो नहिं गतो, तन्थवि भगवं भिक्खायरियाए अइगतो, तत्थवि भगवतो सिव श॥३११
SR No.090462
Book TitleAgam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1985
Total Pages617
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aavashyak
File Size18 MB
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