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तेणीना माइना कहेबाथी हुँ ब्रानो त्याग करी तेणीने परण्यो. पछी धननी इच्छाथी में निमित्त विद्यारडे जोयुं तो आप महा वृत्तांत मारा जाणवामां आव्यू. तेमा मने घणो द्रव्यलाभ थशे एम जाणी ९ श्रा वृत्तांत आपने कहेवा ही प्राव्यो | छु. हवे जेम उचित लाग तेम करो," ।
आ प्रमाणे निमित्तियानुं वचन सांभळी सर्व जनो विचारमा पउद्या के 'श्रा वाचत शो उपाय करयो ? तेमा एक मंत्री बोन्यो के-" समुद्रमा वीजळी पडती नथी, तेथी सात दिवस सुधी स्वामी नावां आरूढ थइ समुद्रमा ज रहे तो विध दूर थाय." ते सांभळी बीजो मंत्री बोल्यो के-"जो के समुद्रना जळमां वीजळी पडे नहीं, परंतु वहाणमां कदाच वीजळी |
पडे तो तेने कोण रोकी शके १ तेथी वैताढ्य पर्वतनी गुफामा जइने सात दिवस स्वामीए रहे, एम मने ठीक लागे छे." | * ते सांभळी त्रीजो मंत्री बोन्यो के-"श्रा उपाय पण मने सारो लागतो नथी. कारण के जे अवश्य थवा, होय ते गमे ते
स्थाने पण थह शके छे. तेथी हुँ तो एम धारूं छु के-आपणे सर्वेए सर्च उपद्रवोने नाश करनार तप करचो योग्य छ, कारण के तपवडे निकाचित कर्म पण क्षीण थाय छे." ते सांभळी चौथो मंत्री चोन्यो के-"आ नैमित्तिके पोतनपुरना स्वामी उपर वीजळीनो पात कह्यो थे, परंतु श्रीविजय स्वामीना उपर कहो नथी. तेथी सात दिवस सुधी आपणे पोतनपुरनो स्वामी बीजो करीए, तेम करवाथी चीजळी तेना पर पडशे अने श्रीविजय स्वामी अचत रहेशे." भावू तेनुं वचन सांभळी दैवज्ञे अने बीजा सर्व मंत्रीओए तेम करवान पसंद कयु. अने तेना मतिज्ञाननी प्रशंसा करी. त्यारे में कयु के" मारा प्राण बचात्रवानी खातर हुँ बीजाना प्राणनो घात करावीश नहीं. कारण के सर्वने पोताना प्राण प्रिय होय छे."