________________
उपदेश
सप्ततिका
॥
५॥
अविराणं विराएं नायागुणाण सो य पासम्मि। अंगीकरे दिरके सिरक पुण खहा सुत्तस्स ॥३॥ तन्नारियावि तन्नेहलारिया सारिया व महुरफुणी । जश्णीण पायमूले जाया जणी गुणुझणी ॥४॥ जह जह तम्मुहकमलं (कमल) व पखोयए स रागवसा । अणुसरि(वि)या पुर्व तह तह सो सर सुरयाई ॥ सा साहुलीण मज्जे चितीवि दु सकतनिधासु । करचरणे परकालश् टास मलमंगसंलग्गं ॥ ६॥ सफा नहु जाश्मयं तबाया साहुणी खु सपमाया । तमणासोश्य उकयं ते दोऽवि य मरणसमयम्मि ॥ ७॥
एसएमणुपाखिचा वेमालियनिकरत्तमावन्ना । तसो चवित्तु इत्येव पसिझे जारहे वासे ॥ ७॥ नयरम्मि इखावधानामे अजिरामसीशलारामे । धणकोमीहिं पगलो इन्नो नामेण वरसिही॥ए॥ गुणधारिणी सुरूवा दश्या तस्सस्थि धारिणी नाम | ताणं पुण नस्थि सुई सुळेच जो वंसवएसके ॥१०॥ तत्येव श्खादेवी नाम सुरी सप्पजावपन्जारा । सपमोया पुरखोया तं बहुमन्नंति श्रञ्चति ॥११॥ इन्नेव सिडिया वह नंदणसंपतिमीहमाणेण । माणेष वकिए एवं उवज़ाश्य तीए॥१३॥ अ मह होही पुचो तोऽहं सकतत्सर्ड य जत्ताए । श्रागम्म मणजिराम तुह नाममिमस्स गविसं ॥ १३ ॥ सो माइसमुखिजीवो इत्तो तप्पणश्मीए फुजीए । पुत्तत्तेशुप्पलो धन्नो पुनोदयस्स वसा ॥ १४ ॥ वह सब सो पसूट पसत्यवेक्षाश्मम्मदेखाए । विहियं वझावणयं तकम्मे सिक्षिणा गरुचं ॥१५॥ १ प्रशासकावामनबा महेलया.
130
5
॥
५॥