________________
*-
40%
साहियमेयं च पुरोहियस्स तेणावि करिलं सुचिरं । निविसया य कया सा पाववसेणं दुश्च निरासा ॥१०॥ कत्थवि न खद्दर गएं खाएं पाणं न यावि सम्माएं । सोचएहपिवासाहि विज्छमिया कम्मवसनमिया ॥ १०५ पमिया दुन्जिरकम्मी दासत्तं पाविया रसवणिस्स । तत्थ पुष मक्रपाणे रसियत सुजु संपत्ता ॥ १०६॥ मंसोवरि मोहख जाट चित्तम्भि बिसयजम्मा । पमिया य कुसंगणं असइ सया पिसियखमाई॥१०॥ तस्सेव वाणियस्स य गेहा मुसिय किंचि दविणरं । विक(किणिय बन्नवाणे सा मुंजा विसयसुरकाई॥१०॥ वाशिकरोए नायं तच्चरिय साहियं च नूवश्णो । वज्का तेणाचा धिता कुका य पाविध ॥१०॥ मिलिङ नायरखो सोउवग करेइ विन्नति । एसो दु रायधम्मो गज्जवई नेव हतया ॥ ११०॥ पसवर जाव न बालं ताप पयत्तेण रस्कियवेसा । श्रह तं निलंगिगेहं भूवश्वयणेण नेकणं ॥ १११॥ खोएप पसबसमयं जाव नियंतियघरोयरे धरिया । अह दारयं पसूया याहिगडव कंपतणू ॥ ११ ॥ तस्कणमेवाणीया श्रीया रायंगणम्मि गुणहीणा । शाररकगाणा दि िवंचित्ता ताव नणु ना ।। ११३ ॥ मुणियं सूमीवणा जिसं गवेसावियावि नो खा । तो श्राप रन्ना तत्तणु पाखियो य ॥११॥ दिना पंचसहस्सा तप्परिपा(वा)लएकए धणस्समुपा । सो पंसुखी तण्र्ड पुरक संवनिवि म ॥ ११५॥ अह सावि मरिकम् तम्माया पाषकम्मछे जाया। तत्व पुरे सूपाहिवत्तखे तस्स तो रना ॥ ११६॥
139