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aisa जो धनो तत्थ निसझो सया सुकयपुन्नो । पारा धम्मका सुहासमापाइ वाणी ॥ १५० ॥ जो जो जया सवारेण धम्मम्म कुपद लीये । नोयं पावमहातिमिस्ससंचारसंदरये ॥ १७१ ॥ सम्मं सम्मत्तधुरं धरेह करयरं धुरीणुब । जह उदु सिद्धिपुरीए लदेह वासं निरायासं ॥ १७२ ॥ निम्मrri निम्मायचेयसा घियवंदपं च तिक्कालं । तप्पटुपूया पुष्यमजब सिवसुरकखाजकरं ॥ १५३ ॥
या परिणामोऽवि जव जवावारपारतरणाय । इरणाय हस्याएं संपकाइ सुरककरणाय ॥ १५४ ॥ जो जयपणो पयपूयम्मि निरर्ड जवाल तह विरजं । अर विसयसुहम्मी धर सो लहइ परमयं ॥ १७५ ॥ तह पंचनमुकारो सारो संसारसायरे घोरे । रयतेव अश्लदारो घरियो बहुपयते ॥ १९६ ॥ एसुचिय मुहसंचयहरणो सरको अतसत्ताणं । नवकुवसमुद्धरणो मरणोवदवहरो होइ ॥ १९७ ॥ जो काइ तिसकं वियतियचचवारमसयमध्वा। सो रजारिद्धिसिद्धी सिमिद्धी सदइ धन्नो ॥ १५८ ॥ सदस्यमुज्जित्ता बुज्जित्ता परमतत्तनूयमिणं । मराखणे जो सरई असरई सिवसिरिं सो च ॥ १९९ ॥ जो न सदर मंतमिणं दीपो दीपो दरिद्दि (६) च सो छ । रोगी सोगी जायइ दोहग्गी जमड़ रिजर्व ॥ २०० ॥ गुरुवयणमिणं सुच्चा बहुत खोल सुसक्रियपमोठं । जिणपूयशिकतायो जाउं पर मिठिकाणपरो ॥ १०१ ॥ वह इसम राया समए भए पुरा पुनं । किं कयमेरिसरिद्धी (एँ) य नायणं जं जए जार्ज ॥ २०२ ॥ चार गुरू चलनाणी पुषन्नवे रायगिहपुरे आसि । आरंजी तह ज य माखिजे रायसेहरई ॥ २०३ ॥ 119