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सा. मात्र प्रति १०००, श्रीमान् मेठ पीराजी छगनलालजी सा, झाब प्रति ११.० और मुनाविका श्रीमती कमलाबाई बोहरा धर्मपत्नी श्रीमान् सेठ Firvी सा. 'डा, निवासी ने प्रति .. का दिया है।
परिशिष्ट में भगवतीसूत्र स्थित तुंगिका नगरी के श्रापकों की भव्यता का वर्णन है। यह भी पाठकों के जानने योग्य ममझ कर मैने लिग्य कर परिशिष्ठ में जोड़ दिया है और श्री कामदेवजी की समाय भी जो भायोल्लास बढ़ाने वाली है, इसमें स्थान दिया है । आशा है कि पाठक इनसे लाभान्वित होंगे।
इसमें मुझे आनन्दजी के प्रतों और कर्मादानादि विषय में भी लिखना था, परन्तु उतना वकास नहीं होने के कारपा छोड़ दिया । । आशा है कि.मंत्रिय पाठक इसका मननपूर्वक म्वाध्याय कर भ० महावीर प्रभु के सन आदर्श मिणोपासकों की धर्मश्रद्धा, धर्मसाधना और धर्म में अट आग्या के गुणों को धारण बार अपनी आत्मा को उन्नत करेंगे । उनकी ऋद्धि-सम्पत्नि की ओर देखने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि बिनधमं प्राप्ति के पश्चात उन गहस्य माधकों ने पौद्गनिक सम्पत्ति और इन्द्रिय-भोग पर अंकुश लगा दिया था और १४ वर्ष पश्चात् तो मर्वथा त्याग कर के साधनामय जीवन व्यतीत किया था। इसीसे के एक भवावतारी हुए थे । हमारा ध्येय तो होना चाहियं सर्वत्यागी निमंन्थ बनने का, परन्तु उतनी शक्ति नहीं हो, नो वेंगविरत श्रमणोपासक हो कर अधिकाधिक धर्मसाधना अवश्य ही करें ।
___ सर्वप्रथम यह सावधानी तो रखनी ही चाहिये कि लौकिक प्रचारकों के दूषित प्रचार के प्रभाव से अपने को बचाये रखें। जब भी वैसे विचार मन में उदित हों, तो इस मूत्र में वर्णित आनन्द-कामदेवादि उपासकों के आदर्श का अवलम्बन ले कर लौकिक विचारों को नष्ट कर दें, तभी मुरक्षित रह कर मुक्ति के निकट हो सकेंगे।
___ मैलाना वंशाव शु. १ विक्रम सं. २०३४
रतनलाल गेधी वीर संवत् २५०३ दि. २६-४-७७