________________
पांच का षट् आदि उस्कृष्ट संख्यात पर्यन्त जानना। सोश संख्याताणु स्कन्ध हैं। अब या संपाताणु स्कन्धतें एक अधिक परमाणु के असंख्याते स्कन्ध हैं। सो २ जघन्य असंख्याताणु स्कन्ध है। थातें एक परमाणु और अधिक के असंख्याते स्कन्ध हैं असंख्याते स्कन्ध ऐसे हैं जो उत्कृष्ट संख्यात ते तीन-तीन परमाणु के अधिक जानना । च्यारि-च्यारि परमाणु अधिक के जसंख्याते स्कन्ध हैं। पांच अधिक के असंख्याते स्कन्ध हैं इन अधिक उत्कृष्ट संख्याततें एक-एक परमाणु के स्कन्ध वधतै उत्कृष्ट असंख्यात पर्यन्त जानना। सो एक-एक परमाणु के अधिक हैं सो असंख्याते असंख्याते पानना। उत्कृष्ट असंख्यात परमाणु से एक परमाणु अधिक के स्कन्ध जसंख्याते हैं। सो यह जघन्य अनन्ताशून के स्कन्ध हैं । दोय परमाणु अधिक के स्कन्ध असंख्याते हैं। तीन अधिक, च्यारि. आदि अधिक के स्कन्ध एक-एक जाति के असंख्याते स्कन्ध हैं.सो सब अनन्तास पुद्गल स्कन्ध हैं। ऐसे संकपा, पख्यात, म स्वाध है। को सर्व जाति के स्कन्ध वसंख्याते असंच्याते हैं। ऐसे पुद्गल के स्कन्ध अनेक प्रकार हैं। तहाँ जे तेजस जाति के पुद्गल स्कन्ध हैं तिनका तो तेजस शरीर होय है। भाषा जाति के पुद्गल स्कन्धन करि भाषा योग्य जो बेन्द्रिय आदि जीवन के यथायोग्य वचन बोलने की शक्ति लिये स्थान कण्ठादि बनि भाषा घिरे है। मन जाति की वर्गणा करि संझी पंचेन्द्रिय जीवन के हृदय-कमल मैं अष्टपाखड़ी का कमलाकार द्रव्य मन होय है। जात आत्मा के शुभाशुभ विचार की शक्ति होय है। बादर निगोदि वर्गणा के स्कन्धन तै, बादर निगोदिया जोवन के शरीर बने हैं और सूक्ष्म निगौद वर्गणा के स्कन्धत सक्ष्म निगोदिया जीवन के शरीराकार होय हैं और प्रत्येक जाति की वर्गणात प्रत्येक शरीरन का बन्धन होय है। कार्मस वर्गणातें ज्ञानावरणादि अष्ट कर्मरूप कर्म-स्कन्धमई ऐसा कार्मस शरीर होय है। कर्म होने योग्य होय जे पुदगल स्कन्ध सो कामरा वर्गसा है। तहां आत्मा के जैसे-जैसे राग-द्वेष भावन सहित आत्मा परिसमै, ताही प्रमाण अष्टकर्म रुप होय कार्मण वर्गणा परिणम है। सो अष्टकर्म कौन है । तिनके माम कहिए हैं। ज्ञानावरणी, दर्शनावरणी, वेदनी, मोहनी, आयु, नाम, गोत्र, अन्तराय-गैस ए अष्ट-कर्म तो मुल हैं तिनको उत्तर प्रकृति एक सौ अड़तालीस हैं। ज्ञानावरणी के नाम; मतिज्ञानावरणी, श्रुतज्ञानावरणी, अवधिज्ञानावरशी, मनपर्ययज्ञानावरणी, केवलज्ञानावरशी- पंच हैं सो जिस-जिस ज्ञान के बावर्श की हैं ते-ते ज्ञानकों घातें तातें