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________________ ७२ कर्ता का शब्द कोई वस्तु का अङ्ग है ताका छल लेयक भोरे जीवन नै कोई भगवान कर्ता जान्या है सो सांसारिक जीवों की पर्याय का कर्ता भगवान तो नाल बीरन की पर्यापन का कर्ता बताईए है । सो कर्ता के भेद दोय हैं। एक तो भावकर्म कर्ता है। दुसरा द्रव्यकर्म कर्ता है। सो भाव कमन का कर्ता तो यह संसारी आत्मा है। अपने रागद्वेष भावन त शुभाशुभमरि च्यारिगति रूप उपजावे योग्य विकल्प का करना सो भाव-कम है। अरु इन भाव-कर्म के अनुसार प्रवृत्ते जो लोक विर्ष तिष्ठते पुद्गलस्कन्ध, ज्ञानावरणादिक कर्मरूप, सो द्रव्य-कर्म हैं। सो इन द्रव्य-कम के जोगत आत्मा देव, मनुष्य, नारक, पशु एकेन्द्रिय, विकलेन्द्रिय, पंचेन्द्रिय आदि की उत्पत्ति रूप आकार सो नाना प्रकार जे शुभाशुभ शरीर तिनका कर्ता द्रव्यकम है। सो जैसा-जैसा शरीर आकार होय तैसा-तैसा भीतर आत्मा का आकार होय है। ता प्रमाण आत्मा सुख दुख का भोक्ता होय है। हे कर्तावादी। इन शरीर, च्यारि गति का कर्ता तौ द्रव्य-कर्म पुद्गल है। भावकर्म रागद्वेष है, ताका कर्ता आत्मा है। जैसा-जैसा भाव-कर्म उपार्जता है, तैसा-तैसा शुभाशुभ शरीर होय है। ताते याका कर्ता आत्मा ही है। ऐसा जानना जो गवान काह का कर्ता नाहीं। ताही तें धर्मात्मानक्याप ! कार्यन का कर्तापना तजि, शुभ कार्यन का कर्त्ता होना योग्य है। इति कविादी की एक नय मिटाय जीवादि तस्वनि का कर्त्तापना कोई नय बताया। आगे नास्तिकमती सर्व प्रकार जीव का अभाव माने हैं। ताका एकान्त छुड़ाय, आत्मा कोई नय करि नास्ति भी है ऐसा कथन बताईय है। भो नास्तिकमती! तेरा मत जीवको सर्व प्रकार नास्ति मान है। सो यह एकान्त मत तौ असति है। जीव-द्रव्य का कबहूँ नास नाहीं। परन्तु जा अपेक्षा | जीव नास्ति भी है ऐसा उपदेश जिन-भाषित तत्वन की नय करि तोकौं बताईरा है, सो तूं चित्त देय सुन । मो भव्य । जीव, द्रव्यार्थिक नयतै तौ सदैव शाश्वत है । सो द्रव्य वस्तु का तौ कबहूँ नाश नाहीं और देव नारकादि च्यारि गति पर्याय हैं सो नास्तिरूप हैं। सो पर्याय के नाश होते जीव का नाश कहिरा है, सो व्यवहार नय है। था व्यवहार नय तें पर्याय विनशते लौकिक में ऐसा कहैं हैं। जो यह देव जीव मुआ (मस्या), यह नारको जीव मुआ। जो यह नर जीव हुआ। यह तिर्यश्च जीव हुआ। ऐसा कह हैं। सो पर्याय नाशतें जीव की नास्ति कही, सो पर्यायार्थिक नय जानना । इति नास्तिक नयकौ सर्व प्रकार असत्य बताय, कोई नय नास्ति ७२ - - - - - -- - --
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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