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आकाश, कंकर, पत्थर, घट, पट, सर्व जगै सूक्ष्म जीव भरया है। जीव बिना कोई क्षेत्र नाहों। तेरा वचन सत्य होय है। येता विशेष जानना, जो तेरा वचन एक सत्ता रूप सर्व जीव, सो तो असत्य है और सर्व जीवनि की |
सत्ता भिन्न-भिन्न है। यह जिन-वचन सत्य है । तातै धर्म उपदेश भी सम्भवै और पुण्य-पाय फल भी सम्भव है। । ताते सर्व संसारमैं जीव भरि-पूर हैं। परन्तु एक सत्ता नाहों । सर्व की सत्ता भिन्न-भिन्न हैं। ऐसा श्रद्धान कर।
इति कोई नय ते सर्व सेसारमैं घट, पट, जल, पवन, पानीमैं आत्मा है ऐसा कथन आगे अवतारवादी का वचन कोई नय प्रमाण बताइये है । अहो अवतारवादी ! तू मोक्ष आत्मा कौं अवतार मानै है सो मोक्ष दोय प्रकार है एक तो सालोक मोक्ष है सो भोले जीवतौ सालोक की ही मोक्ष कहैं हैं। सो सालोक मोक्षतौ ताकी कहिरा जो या चारि गति समानि जनम-मरण दुख सहित होय । इन्द्रियजन्य सुख बहुत होय । जीवना एक शरीरतें बहुत होय । सागरों पर्यन्त असंख्यात वर्ष ताई जीवना होय 1 रोसा इन्द्रलोक ता इन्द्रलोकको भोले जीव मोत्त कहें हैं । इहाँ कोई कहै, देवलोक को मोक्ष कौन नयकरि भोले जीवन नैं मानी ताकौ कहिये । हे भव्य ! मोक्ष कर्म-रहित है। तहाँ तिष्ठते सिद्ध, सो महासुखी हैं। कबहूँ मरें नाहीं। तातै तिन मोक्ष जीवनको अमर कहैं हैं। इन्द्रलोक के देव भी दीर्घ आयुधारी हैं। सो मनुष्यनि अपेक्षा, अत्यन्त जोवे हैं। मनुष्य के असंख्याते भव बड़ी-बड़ी आयु के होय तो भी देव का एक भव पूरण नहीं होय। देव का आयु-कर्म बड़ा है। ताते शास्त्रनमैं देव का नाम अमर है और सिद्धन का नाम भी अमर है सो अमरपने को कल्पना करि देवलोक भोले जीवन. मोक्ष मानी है। सो बालक ज्ञानी, ताही ते इन्द्रको भगवान जानि ऐसा कहैं हैं। जो मोक्षमैं नाना रतनमई महल हैं। तहाँ भगवान विराज हैं। बड़े-बड़े देव, दानव, भगवान के पास हस्त जोड़े खड़े हैं अनेक अपसरा भगवान निरत गान करें हैं। ऐसा अनेक सुखन सहित भगवान हैं। इनकी आदिल बहुत पंचेन्द्रिय-जनित सुख दीरघ जानि भोले प्राणीन ते थाका नाम सालोक मोत कहिरा है। सो इस सालोक मोक्ष का नाथ इन्द्र है। सो भोले जीव इन्द्र को भगवान मानें हैं। इन्द्रलोक को मोक्ष मानें हैं सो हे अवतारवादी भव्य ! इस सालोक ते इन्द्र मरि अवतार धरै है सो या नयतें अवतार मत प्रगट्या है और दूसरा निरालोक मोक्ष है। सो यह मोक्ष अष्ट कर्मन के नाशते शुद्ध परिणति के धारी यतीश्वरों को