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________________ Yya जानि, इस ग्रन्थ के पूरण करने की है अभिलाषा जाके। सो अन्त में मङ्गल होने के निमित, महान् पुरुषन के ! नाम, जिनके कुल-समरण होवे करि, मङ्गल होय है। सो ऐसे तीर्थकरादि, प्रेसठ-शलाका पुरुष के नाम, पुण्य के कारण हैं। तात यहां प्रथम चौबीस तीर्थङ्कर तिनके नाम कहिये हैं-ऋषभनाथ, अजितनाथ, सम्भवनाथ, अभिनन्दननाथ, सुमतिनाथ, पद्मनाथ, सुपाश्र्वनाथ, चन्द्रप्रभु, पुष्पदन्त, शीतलनाथ, श्रेयांसनाथ, वासुपूज्य, विमलनाथ, अनन्तनाथ, शान्तिनाथ, कुन्धनाथ, अरहनाथ, मल्लिनाथ, मुनिसुव्रतनाथ,नमिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ और महावीर सम..दो पीस लीवर निन, अवसर्पिणी काल के तीर्थ । भागे चौबीस-जिनके पिताके नाम-नाभिराजा, जितशत्र, जयतार सुवीर, मेघ, धरण, सम्प्रतिष्ठित,महासेन, सुग्रीव, दृढ़रथ, विमल, वासुदेव, | जयति, धर्म, सिद्धसेन, भानु, विश्वसेन, सूर्य, सुन्दरसेन, कुम्भ, य और सिद्धारथ राजा-ये चौबीस प्रणा के प्रतिपालक, महान् राजेन्द्र भये । सो तीर्थररूपी दिनकर (सूर्य) के उदय करनेकौं उदयाचल पर्वत समान जानना । इति जिन पिता । अब जिन माता का नाम-मरुदेवी, | विजयादेवी, श्रीषेशादेवी, सिद्धार्थदिवी, मङ्गलादेवी, ससीमादेवी, पृथ्वीदेवी, सलक्षणादेवी, रामीदेवी, सनन्दादेवी, विमलादेवी, पयादेवी, रामादेवी, सूर्यादेवी, सुव्रतादेवी, एलादेवी, श्रीमतीदेवी, सुमित्रादेवी, सरस्वतीदेवो, धामादेवी, विमलादेवी, शिवादेवी, वामादेवी और त्रिशलादेवी-ये चौबीस महादेवी, परम पवित्र जगत् गुरु की माता सी जगत को माता, पर सती भगवानरूपी सूर्य के जन्म देवेक पूरव दिशा समान, तिनके नाम भव्यनकों मङ्गल करौ। ये माता, जगत्पति भगवानरूपी रत्र के उपजायवेक, रतन-नानि हैं। ये चौबीस जिन की माता के नाम की माला कही। आगे चौबीस जिन को काय की ऊँचाई कहते हैं। पांचसौ धनुष, साढ़े चार सौ, चार सौ, साढ़े तीन सौ, तीन सौ, ढ़ाई सौ, दोय सौ. डेढ़ सौ, एक सौ, नव्वै, बस्सी, सत्तरि, साठ, पचास, पैंतालीस, चालीस, पैंतीस, तीस, पच्चीस, बीस, पन्द्रह, दश, नव हाथ और सात हाथ-यै चौबीस जिन के शरीर की ऊंचाई अनुक्रम तें कही। अब चौबीस-जिन के प्रतिबिम्ब पहिचानवें को चिह कहिये हैं..आदिनाथ का बलका चिह्न और जिनों का अनुक्रमतें कहिये हैं हस्ती, घोटक, कपि (बन्दर) कोक (चकवा) लाल कमल, साथिया, चन्द्रमा, मगर, कल्प वृक्ष, गैंडा महिष, सूकर, सैही, वप्रदण्ड, हिरस, बकरा, मछली, स्वय ५४७
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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