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________________ Fo २२८ इति श्री सुष्टि तरंगिणी नाम के अन्य मध्य में अत, दान, पात्र, पूजा, धर्म- अंगन में शेय हेय-उपादेय का वर्णन करनेवाला चतुर्दश पर्व सम्पूर्ण हुकार ॥ १४ ॥ आगे तीथ विषै ज्ञेय-हय-उपादेय कहिए है। तह सुतीर्थ कुतीर्थ का समुच्चय जानना सौ तो ज्ञेय हैं। ताके दोय भेद हैं। एक सुतीर्थ है। तहां अढ़ाई द्वीप प्रमाण पैंतालीस लाख योजन क्षेत्र-लोक के शिखर, सिद्ध-लोक सी शुद्ध तीर्थ है तथा सिद्ध आत्मा के असंख्यात प्रदेशन करि रोक्या हुआ सिद्ध क्षेत्र, सो पूजने योग्य है। सो ही शुद्ध तीर्थ है तथा जहां तैं यतोश्वर शुद्धोपयोग करि अष्टकर्म का क्षय करि सिद्ध बद पाया सो सुतीर्थ है। जैसे— सम्मेद शिखरजी, गिरनारजी आदि बीस तीर्थङ्करनकों आदि अनेक मुनि जहांतें सिद्ध भये तातैं सम्मेद - शिखर सिद्धक्षेत्र तीर्थ है नेमिनाथजो तीर्थङ्कर आदि बहत्तर कोड़ि सात सौ यति कर्मनाश जहां तैं सिद्ध भये तातें गिरिनारजी सिद्धक्षेत्र तीर्थ हैं। शत्रुञ्जयजी तहां तें तीन पांडव आदि आठ कोड़ि यतोश्वर मोक्ष गये, तातै तीर्थ है । अष्टापद जो कैलाश पर्वत जहाँ तें आदि देव वृषभनाथ आदि लेथकें अनेक ऋषिनाथ निर्वाण गये, तातैं कैलाश तीर्थ स्थान है । चम्पापुरी तें वासुपूज्य बारहवें तीर्थङ्कर आदि अनेक तपनाथ कर्म हनि मोक्ष गये, तातें उत्तम तीर्थ है। पावापुरी तैं अन्तिम तीर्थङ्कर वर्द्धमान स्वामी आदि अनेक योगीश्वर मोक्ष गये, तातें शुभ तीर्थ है और तारवरणी तैं साढ़े तीन कोड़ि यति बैकुण्ठकूं गये, तातें भला तीर्थ है तथा पावागिरि तैं रामचन्द्र के पुत्रादि पश्ञ्च कोड़ि तपसी जनम-मरण तैं रहित भये, तातैं शुद्ध तीर्थ है। गजपंथाजी हैं बलभद्र आदि आठ कोड़ि गुरु ने अमूर्तिक पद पाया, तातै गजपंथाजी उत्कृष्ट तीर्थ है। तुङ्गीगिरिजी हैं रामचन्द्र, हनुमान, सुग्रीव आदि निन्यानवें कोड़ि ऋषिराज भव समुद्र पार गये, तातें तुङ्गीगिरि उत्तम तोर्थ है तथा श्री सोनागिरिजी तैं साढ़े पांच कोड़ि गुरु सिद्ध भये, तातैं पूज्य तीर्थ है और रेवा नदी के तटन तैं रावण के पुत्र आदि साढ़े पांच कोड़ि यति निर्वाण गये, तातें जगत् पूज्य तीर्थ है तथा रेवा नन्दी के तट, सिद्धवरकूट नाम पर्वत है। ताको पश्चिम दिशा तैं दोय चक्री, दश कामदेव आदि साढ़े तीन कोड़ि मुनि सिद्ध लोक गये, तातैं उज्ज्वल तीर्थ है और बड़वानी नगर की दक्षिण दिशा में चूलगिरि नाम पर्वत है। तहां तैं इन्द्रजीत रावण का पुत्र, कुम्भकर्ण रावण ये तार्ते असा तीर्थ और अचलापुर की ईमान दिला विषै मेदिगिरि २२८ त t गि णी
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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