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________________ देश मैं अन्न नाहीं होय वा देश मैं जल थोरा इत्यादिक देशन की बात करना सो देश विकथा है। जहां कु-कविन किये अनेक छन्द, कवित्त, गीत, दोहा, पहेलो, साखी, कहानी, किस्सा-इन आदि अनेक वचनबन्धान परमार्थ | रहित जिनकी कथा जो वाने रस-क्रवित्त बनाये हैं। वाने वा राजा के मले-यशरूप कवित्त किए हैं। वह बहुत किस्सा-कहानी जाने है। इत्यादिक कथा करनी सी भाषा कधा है तथा पशन के वचन जो वह सूवा भला बोले है वाकी मैना अच्छी बोले है वाकी तूती अच्छी बोले है। तीतुर, लाल, कबूतर, काक, कोयल, गर्दभ, स्वानादि अनेक पशून की भाषा-शुभाशुभ की कथा करनी सो भाषा कथा है और पसर गुण मेटने रूप उपाय राज पञ्चसमा मैं ऐसा कहै जो वाक् कहा गुण है ? वैसे तुम कुं बहुत बतावैगे। याही तें बहुत गुणी हमने देखे हैं। कई कहैं हमनें बातें भी घने गुणी देखें हैं । केई कहैं यह कहा है वामैं बड़े गुण हैं । इत्यादिक परस्पर कथा करना सो गुण बन्ध-कथा है। जहां कुदेवन का अतिशय-करामात की कथा जो केई कहूँ शीतला जागती ज्योति हैं । केई कहैं वह भैंरी प्रत्यक्ष कोई कहै वह देवो प्रत्यक्ष हैं। बेटा, धन देय है। इत्यादिक परस्पर कथा करनी सो देवी कथा है। जहां कोई कहै त महादुष्ट है। यह महापापी है। याकी मूर्खता जगत् जाने है। ऐसे परस्पर कठोर वचन बतलावना सो निष्ठुर वचन कथा है। जहां पराया बुरा करवे की बात पराई निन्दा की बात परकौं पीड़ाकारी वचन इत्यादि परस्पर कथा करनी सो पर-बैशुन्य विकथा है। जहां नाना प्रकार की श्रृङ्गार कथा जाके सुनें चित्त विकार रूप होय ऐसी कथा परस्पर करना सो श्रृङ्गार कथा है और जहां इस देश मैं यह रीति भली है यह रोति भली नाहों। वा देश मैं फलानी वस्तु अच्छी नाहों वह वस्तु अच्छी है । इत्यादिक परस्पर बतलावना सो देश कालानुचित विकथा है और जहाँ कौतूहल हांसी रूप परस्पर हर्ष-हर्ष गाली बोलना विपरीत बोलना सो भएड कथा है और जहां अविवेकी वार्ता करना सो मूर्ख विकथा है और जहां परस्पर अपने गुसन को कथा। जहां कोई कहै, अहो ! हममैं ऐसे गुण हैं । केई हैं परोपकार हमनैं कई करे हैं केई कहैं, हम बड़े मनुष्य हैं, हमसे बड़ा कोई नाही। इत्यादिक अपने-अपने गुरा की सर्व कथा करें सो आत्ल-प्रशंसा नाम कथा है। परस्पर औरन की निन्दाकारी कथा करनी सो पर-परिवाद कथा है और जहां अन्य का शरीर तथा वस्त्र मलिन देख तथा रोग-मलिन देख, ग्लानि रुप कथा करे सो दुर्गन्ध
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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