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________________ १६ मालि, दुर जाय स्रान करना, यह शुभाचार है। चौका देना बहारी देना, तौ भमि शुद्ध देखि, जीव बचाव करना र शुभाचार है । अग्नि प्रजालना सो ईंधन भूमि शोधि, शुद्ध देखि जलाना, यह शुभाचार क्रिया है और पीसना सो अन्न, चक्की शोधि, दिन को, उद्योत स्थान मैं, दृष्टिगोचर देख पीसना, सो शुभाचार है। धोवना सो गाले जल से वस्त्रादि धोवना । कचारना, सो दिन छित उद्योत स्थान मैं कचारना। रोंधना भोजन करना सो सब दिन में करना, सो शुभाचार है । इत्यादिक क्रिया करनी, सो सर्व विचारि देखि दया भावनते करनी, सो शुभ क्रिया हैं और आभषण-वस्त्र पहिरना, सो शुभाचार है और अपनी वय प्रमाण पहराव बन्देज राखें, सो शुभाचार है। जाकरि लौकिक निन्दा नहीं पावै। जैसे-ऊँच कुल मैं वस्त्र-आभूषण पहनते आये ता प्रमाण पहरे 1 जो राज करनहारे होय तथा सेठ व्यापारी होय तथा निर्धन होय तथा धनवान होय । सो सर्व अपने-अपने पदस्थ माफिक राखे। इत्यादिक शुभाचार की प्रवृत्ति, सो शुम किया है। ऐसी क्रिया-आचार विवेकीन करि उपादेय है । इति शुभाचार । आगे 'प्रशुभाचार कहिये है। बिना देखें शीघ्र-शीघ्र चलना बैमर्याद बिना विचार राज विरुद्ध लोक विरुद्ध वचन बोलना, सो कु-क्रिया है और अनेक माचार ऊपरि कहे तिनसे विपरीत स्रोटें प्राचार पर-पीड़ाकारी दया रहित बोलना, नदी सरोवर विर्षे कूदना बड़े द्रह अनगाले जल के समूह तिन मैं बैठना तैरना कौतुक सहित सपरना, सो कु-क्रिया हैं तथा वस्त्रादि धोवना और कुल निन्द्य इत्यादिक बमर्याद आभूषण-वस्त्र का पहरना, सो कु-आचार है। सो ए क्रिया तणवे योग्य हैं । र घरन सम्बन्धी केतीक किया हैं । सो स्त्रीन के आधीन हैं । तिन स्त्रीन के दोय भेद हैं। एक स्त्री तौ पाचार-क्रिया रहित धर्म भावना से विमुख विषय-कषाय मैं रायमान क्रोध-मान माया-लोभ सहित क्रूर स्वभाव धरनहारी कुटिल चित्त की धरनहारी अपने शील-गुरा की रक्षा का नहीं है लोभ बाके वशुभ भावना हीनाचरणी इत्यादिक कुलक्षण सहित खोटी स्त्री होय हैं। एक स्त्री है सो शुभाचरणी धर्म परिणतिको धरै पवित्र चित्त को धरनहारी शील-गुरा सहित होय । गुरुजन जो सास, श्वसुर, माता-पिता की आम्नाय प्रमाण विनय सहित प्रवर्तनहारी, सौभाग्य गुण की धरनहारी यशवन्ती, भले गुण सहित स्त्री होय हैं। यह दोय जाति, शुभाशुभ स्त्री की जाननी। सो इनकी कखि वि भी जो बालक अवतार लेय, सो शुभ स्त्री के गर्भ से शुभ सन्तान की
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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