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________________ एक कल्पातीत । तहां कल्पवासीन के स्वर्ग सोलह हैं। तिनके नाम-सौधर्म, ऐशान, सानत्कुमार, माहेन्द्र, ब्रह्म, ब्रह्मोत्तर, लांतव, कापिष्ट. शुक्र, महाशुक्र, सतार, सहसार, जानत, प्राणत, आरस, अच्युत-ए सोलह हैं। || १५४ तिनके जाठ युगल जानना। तहाँ युगल-युगल प्रति उत्कृष्ट अायु-कर्म कहिए है। तहां प्रथम युगल में दोय सागर कुछ अधिक उत्कृष्ट प्रायु है। दूसरे युगल में उत्कृष्ट आयु सात सागर कुछ अधिक है। तीसरे युगल में दश सागर कुछ अधिक उत्कृष्ट आयु है। चौथे युगल विर्षे चौदह सागर कुछ अधिक आयु है। पांचवें युगल में सोलह सागर कुछ अधिक आयु है और छठे युगल में अठारह सागर कुछ अधिक आयु है। सातवें युगल में बीस सागर आयु है। आठवें युगल में आयु बाईस सागर है। ऊपरि नव ग्रैवेयक है, तहां प्रथम प्रैवेयक में तेईस सागर आयु है। दूसरे ग्रेवेधक में चौबीस सागर है। तीजे ग्रैवेयक में पच्चीस सागर है। चौथे ग्रेवैयक मैं छब्बीस सागर है। पाँचवीं ग्रैवेयक में सत्ताइस सागर है। छठी प्रैवेयक में अठाईस सागर है। सातवीं ग्रेवेयक में गुगतीस (उनतीस) सागर है। आठवों ग्रेवेयक में तीस सागर है। नववों ग्रेवेयक में इकतीस सागर उत्कृष्ट आयु है। ऐसे अच्युत स्वर्गर्त एक-राक सागर अधिक ग्रैवेयक पर्यन्त बधाय ( बढ़ाय) लेनी और नव अनुदिश में बत्तीस सागर है। पञ्च पञ्चोत्तर में तैतीस सागर आयु है। इति आयु । जागे युगल प्रति काय का प्रमाण कहिये है। युगल प्रति शरीरन की ऊँचाई। तहां प्रथम युगल के देवन की काय हाथ सात है। दुजे युगल के देवन की काय हाथ षट् है। तीसरे युगल के देवन की काय हाथ पांच है। चौथे युगल के देवन की काय हाथ पांच है। पञ्चम युगल के देवन की काय हाथ च्यारि है और छठे युगल के देवन की काय हाथ चार है और सातवें युगल के देवन की काय हाथ साढ़े तीन है और आठवें युगल के देवन की काय हाथ तीन है। नव ग्रेवेयकमैं प्रथम त्रिक के देवन की काय हाथ अढ़ाई है। दूसरे त्रिक देवन की काय हाथ दोय हैं। तीसरे त्रिक देवन और नव अनुदिश की काय हाथ डेढ़ हैं। प्रागै पञ्च पश्चोत्तरन के देवन की काय हाथ एक है। इति काय। आगे स्वर्गन के पटल कहिये हैं। तहो प्रथम युगल के पटल इकतीस हैं और दूजे युगल के पटल सात हैं और तीसरे युगल के पटल च्यारि हैं। चौथे युगल के पटल दोय हैं। पंचम युगल का पटल एक है। छठे युगल का पटल एक है। सातवें युगल के पटल तीन हैं। आठवें युगल के पटल तीन हैं। नव ग्रैवेयक के पटल नव हैं। नव अनुत्तरन का पटल
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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