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________________ उपधानसंबंधी । विशेष ज्ञातव्य सप्तोपधाना (१३) उपधानममे निवृत्त हान के बाद माला पहनो हा ना, इस दिन उपवास करना । (१४) माला पहिनाने वाले श्रावक को भी कम से कम उस दिन एकामन नो करना ही चाहिये । (१५) उपधान करनेवाली नारियों को मार्ग में चलते समय गीत न गाने चाहिये। (१६) उपधान में उपयाम के दिन कल्याणक आ जाय और उपधान वाहक कल्यागक अप करना हो तो वह उपधान में ही समाविष्ट हो जाता है. ऐसा समझना। (१७) पंचमी सप उभरण किया हो, उसे छकीया में छट्टे दिन पंचमी आवे नो उम दिन पंचमी का उपबास और सातवें दिन तप में आनेवाला उपवास यानी छह करना पड़े, अतः छह करने की उपधान में शक्ति न हो उसे छठे दिन पंचमी न आवे तो इस प्रकार प्रवेश करना। (१८) उपधान तप पूर्ण होने के बाद भी यदि पवैयणा में दिन गिर जाय तो दिन वृद्धि होती है। (१९) चातुर्मास में कम्बल का समय प्रातःकाल सूर्योदय से ६ घड़ी तक और सायंकाल सूर्यास्त पूर्व ६ घड़ी अवशिष्ट हो तब । कार्तिक पूर्णिमा से फाल्गुन मुटी १४ तक सूर्योदय से चार घड़ी बाद व सायंकाल सूर्यास्त ४ घड़ी पूर्व से समझना चाहिये । (२०) चैत्र और आश्विन मास में शाश्वती ओलियों के प्रथम के तीन तीन दिन असझाय के उपधान में नहीं गिने जाते पर चौथे और छढे उपधान में बाधा नहीं है। (२१) प्रबल कारण हो तो अपने स्थान पर क्रिया-प्रवीण श्राविका स्थापनाचार्य के समीप कर सकती है। 71
SR No.090452
Book TitleSaptopadhanvidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangalsagar
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year
Total Pages78
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Vidhi
File Size2 MB
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