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धम्मजागरियमेसा । ताव सहसत्ति तन्भत्तिरंजिया पयडिउं अप्पं ॥४॥ सिरिवहरुट्टा तुट्ठा तं जंपइ तुह सुया है। हविस्संति । सिरिनागहत्थिगुरुणो पयधोयपनीरपाणेणं ॥ ५ ॥ युगलं । विग्यविधायनिमित्तं तप्पयधोयणजलं तुम अज्ज । पिज्जासुत्ति भणित्ता पत्ता असणं देवी ॥ ६॥ पडिमाविय पाभाइयकिच्चाइँ करिय पउणपहरम्मि । पत्ता
वसहिदुबारे गुरूणा जा चिट्ठए तत्थ ॥ ७ ॥ पुच्छेद मुणिं गुरुपाय-धोयजललं खणत्थमायायं । किं नीरमिमं ? तेणं * कहिए तं सावि मग्गित्ता ॥ ८ ॥ पाऊणं वसहीए मज्झम्मि गया दसासुयक्खंध । परियéते द8 हिट्ठा वंदेह सूरिवरे ॥९॥ जुयलं । दाऊण धम्मलाहं तेहिंवि पुट्ठा य आगमणहेउं । सा सयलं नियकजं साहेइ जहठियं गुरुणो । ॥ १० ॥ दाउं सुओवओगं, भणिया सूरीहि तुज्झ होर्हिति । पुत्ता पढमस्स पुणो, युत्तंतं सुणु महासत्ति ! ॥ ११॥ उज्जिय जमुणातीरं जइ चिढेही दसाण करिसाणं । उपरि तो जीवेही इय पडिमा सुणिय भणइ गुरुं ॥ १२ ॥ तुम्हाणं दाहिस्सं, पढमं पुत्तं तओ गुरू आह । जइ एवं तो कुणिमो अम्हे चिरजीवियं एयं ॥ १३ ॥ तं पडिवजिय वयणं, पडिमा नियमंदिरम्मि सम्पत्ता । साहइ पियस्स पुरओ, तेणवि अंगीकयं एयं ॥ १४ ॥ तीए तीइ | निसाए कोवि जिओ नागलोगओ चविउं । रयणमयनागदसणपसइओ गम्भि ओइन्नो ॥ १५॥ सत्तममासे गिरिकाणणेसु जइ देमि बहुविहं दाणं । इय दोहलओ तीए, दइएणं पूरिओ झत्ति ॥ १६ ॥ अह पुण्णेसु दिणेसु पुवध । अउवतेयपरिकलियं । पडिमा पसवइ पुत्तं सहस्सकिरणस्स बिंबं व ॥ १७ ॥ जम्मणमहिमं काउं वारसमे वासरे
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