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TRICK
AGAR
तरुसेवा, कयावि किं निष्फला होइ ? ॥ ८ ॥ तीए सुविचारत्तं सामत्थं सयलधम्मकम्मसु । नाउं संघो चिंता एसुचिया कोसकज्जेसु ॥९॥ तो संघसम्मएणं, भंडाराईण सयलकजम्मि । सूरिहि सा ठषिया, गुणेहि परमुन्नई। पत्ता ॥१०॥ तिन्निवि ते तीइ सुया मुणिणो सिद्धतसारमयरंदं । भसलुच सया गुरुमुहकमलाउ पिबति आकंठ, ॥ ११ ॥ सिक्खविया विजाओ, सबाओ ताण सुरिराएणं । पुबगयं नयचकं पमाणगंथं पमुत्तूणं ॥ १२ ॥ जंत सूरियरेहिं, सारुद्धारं करित्तु निम्मवियं । सत्थं नयचक्कक्खं, पुषस्स पमाणवायस्स ॥ १३ ॥ आईमज्झरसाणे, सपाडिहेरस्स तस्स पढणम्मि । गुरुचेयसंघाणं, कीरह पूया अइमहेणं ॥ १४ ॥ एयरस सुरेहिं अहिद्वियस्स पुधागया इमा नीइ । कायषा सेयत्थं महाअणत्यो हवइ इहरा |॥ १५ ॥ सूरी अब्भुयपन्नाकलियं मलं पलोइउं चिलं । नूणं सयमेसो, वाइस्सइ पुत्थयं एवं ॥ १६ ॥ तो भणइ गुरू तं पइ सक्खं काऊण अज्जियं जणणिं । नयचकगंथपुत्थयमेयं तं मा पढिज्जासु ॥ १७ ॥ इय सिक्खं दाऊणं, मुत्तुं तं अजियासगासम्मि । जणपडियोहनिमित्र, सूरी विहरेइ अन्नत्थ ॥ १८ ॥ तो मलमुणी चिन्तइ किमहं सुयसायरेहिं सूरीहिं । नयचक्कतकगन्थप्पवायणेवि हु
डिनिसिद्धो ॥ १९ ॥ अभिलप्पाण सुयाणं, वण्णा सत्वत्थ हुन्ति सारिच्छा । बालुच रक्खसाओ, ताकिं एयाउ [बीहविओ? ॥ २० ॥ ता इत्थ अस्थि अत्थो कोऽवि अउचो तओ निसिद्धोऽहं । तम्हा एयं वाइय कया भविलम्सामि सुकयत्यो ? ॥ २१ ॥ जओ-चारियवामा वामा वाला बाला य इंति णियमेणं । जुत्ताजुत्तवियारं कुग्गह