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________________ प्रथमा २७ अन्वयार्थ - राजगृहस्य = राजगृह नगर के, अन्ते वने = समीपवर्ती वन में, उज्ज्वलाः = उजले या चमकीले, पंच पर्वताः = पाँच पर्वत (आसन् = थे). एकः = एक, विपुलाचलनामा - विपुलाचल नामक, द्वितीयकः = दूसरा. वेमाराख्य = वेभार नामक. तृतीयः = तीसरा, रत्नाचलः = रत्नाचल, चतुर्थः = चौथा. चोलपर्वतः = चोलपर्वत या चूलगिरि, पञ्चमः = पांचवाँ. हेमाचलः = हेमाचल, (इति = इस प्रकार), ऐते = यह, पञ्च पर्वताः = पांच पर्वत, स्मृताः = स्मरण किये गये हैं, ते च = और वे, जम्बूद्वीपे = जम्बूद्वीप में, प्रसिद्धाः = सुप्रसिद्ध, (आसन). तेषां - उनमें या उनके, यः = जो, विपुलाचलः = विमुलाचल नामक प्रथम पर्वत. तत्र = उस पर्वत पर, प्रभोः = प्रभु, श्रीमहावीरस्य = श्री महावीर स्वामी का, समवसारं = समवसरण (समायातं आसीत् = आया हुआ था), वै = पादपूरक अव्यय। श्लोकार्थ - जम्बूद्वीप में प्रसिद्ध्व यह पांच पर्वत हैं - पहला विपुलाचल पर्वत, दूसरा वैभार पर्वत, तीसरा रत्नाचल, चौथा चोलपर्वत या चूलगिरि और पांचवां हेमाचल । इन पांचों उजले चमकीले पर्वतों में जो पहला विपलाचल पर्वत है, उस पर भगवान् महावीर का समोसरण आया था। समायातं कदाचित्तवर्णनं क्रियते धुना । एकयोजनमानेन लंयो भूदायतस्तथा ।।७२।। अन्वयार्थ - कदाचित् = किसी समय, कभी, समायातम् = समवसरण आया था. अधुना = इस समय. तद्ववर्णनं = समवसरण का वर्णन, (मया = मुझ कवि द्वारा), क्रियते = किया जाता है, (तच्च = और वह) एकयोजनमानेन = एक योजन प्रमाण. लम्बः = लम्बाई वाला; तथा = उसी रूप अर्थात् एकयोजनप्रमाण, आयतः = चौड़ाई वाला, अभूत = था। श्लोकार्थ - किसी समय विपुलाचल पर्वत पर भगवान महावीर का
SR No.090450
Book TitleSammedshikhar Mahatmya
Original Sutra AuthorDevdatt Yativar
AuthorDharmchand Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages639
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size12 MB
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