________________
१६
श्री सम्मेदशिखर माहात्म्य. तदा हि जम्बूमति द्वीपे शुचिक्षेत्रे त्र भारते ।
काशीदेशे चन्द्रपुरी स्वसमृद्ध्यालकेच सा ।।२४।। अन्वयार्थ – तदा = उस समय, जम्बूमति = जम्बूवृक्ष वाले, द्वीपे = द्वीप
में, शुचिक्षेत्रे = पवित्र आर्य क्षेत्र में, अत्र = यहाँ, भारते = भारत में, काशीदेशे = काशी देश में, चन्द्रपुरी = चन्द्रपुरी, (आसीत् = थी), सा = वह, स्वसमृद्धया = अपनी समृद्धि से, सा – तह अन्नका इत् = अलका नगरी के समान (आसीत्
= थी)। श्लोकार्थ – उस समय जम्बूद्वीप के इस भरतक्षेत्रवर्ती आर्यक्षेत्र में स्थित
काशी देश में चन्द्रपुरी अपनी समृद्धि से अलका नगरी के
समान सुशोभित थी। तत्रेक्ष्वाकुमहायंशे गोत्रे काश्यप उत्तमे।
महासेनाभिधो राजा बभूवाद्भुतभाग्यभृत् ।।२५।। अन्वयार्थ – तत्र = उस नगरी में, इक्ष्वाकुमहावंशे = इक्ष्वाकु नामक महान
वंश में, उत्तमे = श्रेष्ठ, काश्यपे = काश्यप, गोत्रे = गोत्र में, अद्भुतभाग्यभृत् = अद्भुतभाग्य से पूर्ण, महासेनाभिधः =
महासेन नामक, राजा - एक राजा. बभूव = हुआ था। श्लोकार्थ – उस नगरी में महान इक्ष्वाकुवंश में एवं उत्तम काश्यप गोत्र
___ में एक अद्भुत भाग्यशाली राजा महासेन हुआ था। लक्ष्मणानामतस्तस्य देवी प्रोक्ता सुलक्षणा । तस्यास्सद्मनि देवेन्द्र निर्देशादलकाधिपः ।।२६।। पाण्मासिस रत्नवृष्टिं मेघवत्खमुपागतः ।
चकार यक्षैस्सहितस्सार्धकैर्जलदैरिव ।।७।। अन्ययार्थ - तस्य = उस राजा की, सुलक्षणा = शुभ लक्षणों वाली, देवी
= रानी, नामतः = नाम से, लक्ष्मणा = लक्ष्मणा, प्रोक्ता = कही गई. तस्याः = उस रानी के, समनि = महल में, देवेन्द्रनिर्देशात् = देवेन्द्र के निर्देश से. खमुपागतः = आकाश में स्थित हुये, अलकाधिपः = अलका नगरी के कोषाधिपति कुबेर ने, सार्धकैः = सहवर्ती, जलदैः = बादलों के समान,