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________________ सप्तमः अन्वयार्थ वाराणसीपुरमुत्तमम् । पुनरागत्य हर्षेण वासवो देवतैस्सार्धं तत्राप्युत्सवमाकरोत् । । ३५ ।। - अन्वयार्थ - ર૦૧ देवों के साथ वहाँ पहुंच गया। माया के प्रभाव से प्रसूतिगृह से बालक प्रभु को लेकर इन्द्र सुमेरू पर्वत पर चला गया, वहाँ उसने क्षीरसागर के जल से भरे विशाल एक सौ आठ सोने के घड़ों से प्रभु का अभिषेक किया। श्लोकार्थ इन्द्र हर्ष के साथ फिर से उत्तम नगर बनारस में आया और उसने वहाँ भी देवताओं के साथ हर दृष्टि से महान् उत्सव किया । - आकर, वासवः = इन्द्र. हर्षेण = हर्ष के साथ, पुनः = फिर से, उत्तमं = श्रेष्ठ, वाराणसीपुरं = वाराणसी नगर को, आगत्य = वहाँ, अपि = भी, दैवतैः देवताओं के सार्धं साथ, उत्सवम् = उत्सव, आकरोत् = किया। तत्र = = · J = सुपार्श्वनाम्ना चोक्तं तं मातुरके निधाय च । जयेत्युक्त्वा नमस्कृत्य स देवोऽगात्सुरालयम् || ३६ || च = और, सुपार्श्वनाम्ना = सुपार्श्वनाम से, उक्तं = कहे गये, तं = उन प्रभु को मातुः = माता की, अके गोद में, निधाय रखकर, जयेति = जय हो इस प्रकार, उक्त्वा = कहकर, नमस्कृत्य = नमस्कार करके, सः = वह, देवः इन्द्र देवता, सुरालयं स्वर्ग को अगात् = चला गया। श्लोकार्थ बालक का नाम सुपार्श्य रखकर, सुपार्श्व नाम से कहे गये प्रभु को माता की गोद में रखकर, तथा 'जय हो' ऐसा कहकर और उन्हें नमस्कार करके वह इन्द्र देवता स्वर्ग में चला गया च = और, — = = = नवसहस्रको ट्युक्तसागरेषु गतेषु सः । पद्मप्रभात्तदन्तर्यत्त्यायुस्सम्भवत्प्रभुः ।। ३७ ।। = - अन्ययार्थ – पद्मप्रभात् = तीर्थङ्कर पद्मप्रभ से नवसहस्रकोट्युक्तसागरेषु = नौ हजार करोड़ सागर, गतेषु = बीत जाने पर, तदन्तर्यत्र्त्यायुः = उनके मध्य की आयु वाले सः = वह, प्रभुः तीर्थकर सुपार्श्व, समभवत् = उत्पन्न हुये ।
SR No.090450
Book TitleSammedshikhar Mahatmya
Original Sutra AuthorDevdatt Yativar
AuthorDharmchand Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages639
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size12 MB
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