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श्री सम्मेदशिखर माहात्य तस्योत्तमश्रिया युक्तः कपोलादर्शकान्तिजित् । बिम्बाधरः सुरदनुः सुकण्ठः सुहनुस्तथा ।।४६11 सुभुजः सुकरस्तद्वत् सुवक्षाश्चक्रचिहिनतः । गंभीरनाभिः सर्वाङ्गसुन्दर: श्रीनिकेतनः ।।४७।। कूर्मपृष्ठपदाम्भोजः सर्वलक्षणलक्षितः ।
विभुः कौमारसम्पत्त्या जयकामशतं मुदा ।।४८।। अन्वयार्थ -- श्यामकेशः = काले-काले बालों वाले, समुद्दिव्यच्छीर्षः =
अच्छी तरह से उन्नत व कान्तिमान् सिर वाले, पङ्करूहानन: = कमल सदृश मुख वाले. ललितोन्नतभालस्थभाग्योल्लसित वैभवः = ललित सुन्दर व उन्नत भाल पर अंकित भाग्य रेखाओं के उत्कर्ष से प्राप्त वैभव वाले, भास्वत्कुण्डलार्चितकर्णक: = अपनी किरणों से चमकते हुये कुण्डलों से अर्चित अर्थात् अलड़कृत कानों वाले, कामचापभृकुटिकः = इन्द्रधनुष के समान शाभायमान भौहों चाले, नीलोत्पल क्लिोचनः = नीलकमल के समान सुन्दर नेत्रों वाले. त्रिज्ञानसूचकः = तीन ज्ञान से जानकर सूचना देने वाले, तस्योत्तमश्रिया = उसकी उतम वैभव रूप ज्ञान लक्ष्मी से, युक्तः = सहित, कपोलादर्श-कान्तिजित् = दर्पण की कान्ति को जीतने योग्य गालों वाले, बिम्बाधरः = बिम्ब फल के समान लाल ओंढों वाले, सुरदनुः = सुन्दर दांतों वाले, सुकण्ठः = सुन्दर गले वाले. सुहनुः = सुन्दर छोडी वाले, सुभुजः = सुन्दर भुजाओं वाले, चक्रचिह्नितः = चक्र से चिन्हित, सुकरः = सुन्दर हाथों वाले, तद्वत् - वैसे ही शुभलक्षणों से युक्त, सुवक्षः = सुन्दर वक्ष स्थल वाले. गंभीरनाभिः = गंभीर नाभि प्रदेश वाले, तथा = और, कूर्मपृष्टपदाम्भोजः = कछुये की पीठ की भांति उठे हुये सुशोभिंत चरणकमल वाले, (इति = इस प्रकार), सर्वलक्षणलक्षितः = सारे शुभ लक्षणों से जाने जाने वाले. सर्याङ्गसुन्दर: = सभी अङ्गों से अतीव शोभायमान-सुन्दर, श्रीनिकेतनः = लक्ष्मी के निवास स्वरूप, विमुः = प्रभु ने, मुदा = प्रसन्नता के साथ, कौमारसम्पत्त्या = अपनी कुमारावस्था रूप सम्पदा से ही, कामशतं = सैकड़ों कामदेवों को, अजयत् = जीत लिया।