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सामाचा- रीशतकम् ।
॥१२६॥
कनुं धोषण, अनइ सर्व जलाशय तणो अकाय, ए पान कहिजह, साकरपाणी दाखपाणी आंबलपाणी इक्षर- अशनादि. सपाणी प्रमुख सर्व सरस पाणी पान कहतां आवइ, पिणि व्यवहारइ अशन, जिनुं जिनुं खाइमं स्वादिम कहिजहा निर्णयासुखडी सेक्युं धान सर्व खारिक टोपरां द्राक्षा बिदाम अखोड खजूर प्रमुख सर्व मेवो, काकडी आम फलसादिकधिकारः सर्व फल स्वादिम कहिजइ, स्वादिम कहतां सुंठि हरडइ पीपरी मिरी अजमउ कायफल कसेल काथो खयरसार | ५३ जेठीमध वज तमालपत्र एलची लवंग विडंग काठी विडलवण अजमोद कुलिंजन पीपलीमूल चीणीकवाला कचूर है। मोथ कंटासेरीयो कपुर संचल हरडा बहेडा आमला कुमठउ पान पुगी हिंगुलाष्टक हींग त्रेवीसउ पुष्करमूल जवासामूल वावची बाउल छालि खेजडछालि ए स्वादिम कहिजइ, गुडस्वादिम कहिजइ, पिणि व्यवहारइ अशन, जीकुं कुंनीर साकर वासिउ सुंठनो पाणी हरडेनो याणी ए लीजे नीसागर गोहुवे तो, नमस्पो हुइ सो नहि, तिविहार पच्चक्खाणि जे सूझइ इहाइ स्वादिमजि, जीरो प्रवचनसारोद्धारमांहि स्वादिम कडं छइ, अनइ श्रीकल्पवृत्तौ खादिम कडं छइ, ए चार आहारनो विचार नींबनी छालि मूलानां पांदडां सीली गोमूत्र गिलो कडूकिरियातुं अतिविष कडुओ सुकडराख हलद्रा रोहणि उपलोट वज त्रिफला पंचमूलनिंब धमासउ नाहि आसगंधि रीगणी एलीयो गूगल हरडा छालि बउणमूल चोरीमूल कंथारीमूल कयरडानुभूल घुमाडी आछी मजीठ बोल बीयुक्तं कुंवारी इत्यादिक वीजुई जे अनिष्ट पणइ
IN॥१२६॥ इच्छा पाखा लीजइ ते चिहुँ आहारमोहि एकइ भांगइ नहि, अणाहार जाणवो । विचारग्रंथे अनाहारगाथा यथा-14 "अभयक्ख फलामलए भूनिंबाकडु अगिलोअ रखाई। जोगोनिंबाइणं तयांइ पत्ताणि अणाहारो ॥१॥” इति, श्रीवि
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