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________________ K ARRIERREGACASS नभेद दूग्ध दधि सूरणा मंडकादिक जाणवो, तथा च भणितं-"असणं भोअण सत्तूग, मुंगाजगराइखजग विहीय। खीरणाई सूरणाई, मंडग पमिई अ विन्नेअं॥१॥" आछण जवोदक तुषोदक तंदुलोदक उष्णोदक शुद्धविकट अप्काय समग्र पनक नाग, तद्यथा-पाणं सोपीरजवा-देनाइ चित्तं सुराइ चेव । आउकाओ सबो, ककडगजलाइअं च तहा ॥२॥ अत्र चित्तं सुराइअमिति चित्र नानाप्रकार काष्ठ पिष्टजातिभेदभिन्न सुरामधु आदिशब्दतो द्राक्षा शर्करा पानकादि अप्काय सगल कर्कटी विर्भटी प्रमुखनो जल तथा कालिंग जलादिक सगलं जाणवू ॥२॥ नालिकेर खजूर द्राक्षा भृष्टधान्यादिक आम्रफल रंभाफल कर्कटी फणसादिक पलुसुपुणि सगलो खादिम जाणवू, तथा च भणितं च "भत्तो संदंताई, खजूरं नालिकेरदक्खाई। कक्कडअंबगपणसाइ, बहुविहं खाइम नेयं ॥१॥दंतवणं तंबोलं, ६ सुंठि पिप्पली मिरच हरितकी विभीतकतुलसी प्रमुख स्वादिम जाणवू, तथा च भणितं-“दंतवणं तंबोलं, चित्तं तुलसी वहेडमाई अ। मह पिप्पली सुंठाई, अणेगहा साइमं नेयं ॥१॥" एवं तपागच्छनायकश्रीसोमसुन्दरसूरिपदपूर्वाचल भास्करश्रीमुनिसुन्दरसूरिकृतषडावश्यकबालावबोघेऽपि, तथाहि& चिहुं प्रकारे आहारस्युं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा अशन कहतां-शालि उवारि बरटी प्रमुख सर्व ओदन मुनादिक सर्व कठउल सात्तुयादिक सर्व लोट पेयादिक सर्व तिमज मोदकादिक सर्व पकवान सूरगणादिक सर्वकंद मंडकादिक सर्व केलवी वस्तु ए सर्व अशन कहिउ, वली वेसण विरहाली आमला सँधव कठिपत्र हालीबुड लूण हींग ए अशन मांहि आवइ १ पान कहतां पाणी कांजिक जव गोधूम ज्वारि चोखा काकडी आदि-Ix AWASAKECUAIGHEXAK 251
SR No.090448
Book TitleSamacharishatakam
Original Sutra AuthorSamaysundar
Author
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year1939
Total Pages393
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size11 MB
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