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सामाचा- रीशत
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॥१२५॥
न्दरोपाध्यायविनिर्मितश्रीषडावश्यकबालाववोधे पञ्चानामपि निर्णयप्रतिपादनात् , तथाहि-असन कहतां अन्न-चोखा ज्वार
अशनादिवरटी मुंग प्रमुख सर्वधान, सात सत्तु गिहुँ [ आदि ना सर्व लोट सर्वराव सालणा लाडु प्रमुख सर्व पक्वान्न, सूरणादि
निर्णयासर्व कंद दूध दही मंडादिक सर्व केलवी वस्तु, हींग वेसण विरयाली लूण सैंधवादिक ए सर्व असन मांहि जाणिवा ।।
|धिकारः हिवे पानक कहतां आछण जबोदक तुषोदक तंदुलोदक उष्णोदक शुद्धोदक कहतां वर्णाक्ष्य प्रमुखसर्वश्रपकाय पानक जाणिवा, अथवा काष्ठज पिष्टज सुरादि द्राखनापाणी साकर आंबिलपाणी इक्षुरसादि काकडी चीभडा कालिंगना जल
इत्यादि सर्व पानक जाणवा । २१ दिवे खादिन कहल शुरूधी बालेर खजूर द्राख विदाम सेक्युं धान आंबा केला काकडी ४ अखोड खारेक प्रमुख सर्व मेवो इत्यादिक खादिम ॥३॥ हिवे स्वादिम कहतां तंबोल सुंठ मिरी पिंपल हरडे बहेडा है तुलसी कसेलो काथो जेठीमध तमालपत्र एलची लवींग वीडंग काठी अजमो अजमोद कुलिंजण चीणीकबोबा कचूरो
कांटासेलीयो मोथ हरडे कुंभठउ पान सोपारी पोकरमूल जवासामूल बावची बालउछाली धवछालि खयरसार खेजडछालि ए सर्व स्वादिम ॥ ४ ॥ हिवे निंबके-छाल मूलपान सिली गोमूत्र गिलोइ कडूकिरियातउ अतिविष कुडउ सूकडिराख । रोहणी पीपलामूल वज धमासउ नाहिं रींगणी एलीयो चिणोटी कयर बोरनामूल कथारियउ कुंवारि इत्यादि अणाहार n५॥ पिणि ए अणाहार जउ इच्छा पाखइ अनिष्ट पणइ लीजे तो, अने जउ भावता लीजे तो आहारमाही पडद इति । ॥१२५ ।। श्रीतरुणप्रभसूरिकृतबालावबोघे तु एवं, तथाहि
चतुर्विघ आहार अशन पान खादिम खादिम तत्र अशन-ओदन संध्या चोखा ससु मुंग राव खंडखाद्यादि पक्का
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