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________________ (५३०) ॥ गुणस्थानद्वारे त्रयोदशसयोगिकेवलि गुणस्थानवर्णनम् ॥ (बार यशः सुभगमादेयं, पर्याप्तं त्रसबावरे । पञ्चाक्षजातिर्मनुजायु. गत्यौ (ती) जिननाम च ॥ ५९ ॥ उचैर्गोत्रं तथा सातासातान्यतरदेव च । अन्त्यक्षणावध्युदया, द्वादशैता अयोगिनः ॥६०॥ (इति त्रयोदशं सयोगिकेवलिगुणस्थानम् ) ॥१३॥ अर्थ-हवे सयोगिगुणस्थानर्नु स्वरूप कहे छे-योग एटले आत्मानुं वीर्य ते वीर्यान्तरायना क्षय अने क्षयोपशम (अन्तरायकर्मनो औपशमिकभाव थतो नथी) थवाथी उत्पन्न थयेल लब्धिविशेषथी होयछे ।।४४॥ त्यां योग सकरण अने अकरण एम रे प्रकारनो कहेलो छ, नेमां जाणरा योग्य (झानना विषय) अने देखवा योग्य (दर्शनना विषय) एवा सर्व पदार्थोमां केवळज्ञान अने केवळदर्शननो उपयोग करता एत्रा केवलीन जे आ अप्रतिहत (कोइथो नहि अटकावातु) वीर्यविशेष ते अकरणयो. ग कहेवाय ॥४५-४६॥ आ (अकरण) योग अहिं (चालु विषयमां) अधिकार करायेलो (उपयोगी) नथी, पण मनवचनने कायाना निमित्तवाळो जे सकरणयोग तेम अहिं अधिकार करायेलो छ ॥ ४७ ॥ ते (सारण ) योगवढे सहित जे . केवली ते सयोगिकेवलि छे, अने तेमन जे मुणस्थान ते पण सयोगिकेवलि नामर्नु छे. ।। ४८ ॥ केवलीने पण मन वचन अने कायाना योगो आ प्रमाणे होय छे, त्यां गमन आगमनादि क्रियामां काययोग होय छे ॥ ४९ ॥ तथा उपदेश देवादिकमा प्रयत्नवाना जिनेश्वरोने वचनयोग होय छे,अने एज प्रमाणे जगतना उपकारी तेओने मनोयोग पण होय छे. ॥५०॥ [ ते आ प्रमाणे ] मनः पर्यवज्ञानीओए अथवा अनुत्तरादि देवोए मनथी पूछेला प्रश्ननो (द्रव्य) मनयी जवाद आपता ( मनोयोग होय छे ). ॥ ५१ ॥ आ गुणस्थाने ४२ कर्मप्रकृतियोनो उदय जिनेश्वर (तीर्थकर केवलि)ने अने वीजा सामान्य केवळीने ४१ प्रकृतियोनो ज उदय होय छे ॥ ५२ ॥ औदारिकशरीर १, औदारिफअंगोपांग २, शुभविहायोगति ३, अशुभ विहायोगति ४, अस्थिर ५, अने अशुभ ६, ए प्रमाणे प्रत्येक ७, स्थिर ८, शुभ ९ ॥ ५३ ॥ छ संस्थान १५, अगुरुलघु १६, सपघात १५, पराघात १८, उच्छ्वास १९, वर्ण २०, गंध २१, स्पर्श २२, रस २३, ए प्रमाणे ॥ ५४ ॥ निर्माण २४, वर्षभनाराच संघयण २५, तैजस २६, अने कार्मणशरीर २७, अशाता अथवा शाता बेमाथी कोइपण एक २८, तथा सुस्वर २१, अने दुःस्वर ३०, ॥५५॥ ए ३० प्रकृतियोनो विच्छेद १३ मे गुणस्थाने उदयनी अपेक्षाए (अ
SR No.090439
Book TitleLokprakash
Original Sutra AuthorVinayvijay
Author
PublisherSanghvi Seth Shri Nagindas Karamchand Ahmedabad
Publication Year
Total Pages629
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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