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॥ औदारिकादिदेहेषु संघातादिकरणसत्कदादशवारयन्त्रकम् ।। शरीरना | सर्व संघात | सर्व परिशाट संघातपरिशाटो भयाभाव हापरिशाटकाल संधान परिशाटोमय क्यारे क्यारे होय भय क्यारे दोय| क्यारे
अघन्यकाल
(४७२)
सघातकाल
भाम.
औदारिक उत्पत्ति प्रया
शरीरस्याग समये
मध्यमवति | विप्रगती क्षणेषु
| १ समय
| ! समय
३ 'समयन्यून
शुरुळकभव
विक्रिय उत्पति स्यमई शरीरम्याग
१ समय
|
'समय
समये
क्षणेषु
२ समय
आहारक | उत्पत्ति प्रथम शरीरस्याग
मध्यमवति । तद्विरहकाले १ समय | १ समय
क्षणेषु
|
अन्तर्मुहत
॥ संघातादिकरणयन्त्रकम् ।।
अणे
समये
|
.
शैलेशीचरम अयोगिनं मुदत्वा सिजन्ये समये
१ समय | अनादिसान्त
कार्मण
शैलेशीवरम भयोगिनं मुक्त्वा सिखत्वे समये 1 सर्वकाल ।
अनादिसात
•ौदारिकशरीरो वैश्यिशरीर प्रारंभे भने तेजसमये काल करी ऋजुगतिये देषगतिमा उत्पन याय त्याये ३समय सर्व संघात माला २. २समय निता अमे १समय संघातमीपसमयहीन क्षुल्लकमा २५६ अपमालिका. २ के समय वेकिय करी मरी देवलो. मी
कमां उपजे तो एक समय संघातपरिशाटोभय.
(धार