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________________ २५५) || श्री लोकप्रकाशे तृतीयः सर्गः (सा० १४९) | सामायिकचतुष्के विशेषविचारः ॥ -. (३७) क्षेत्र विचार - (माप्तिसमये ) सम्यक्त्व अने श्रुतसामायिक णे लोकम, सर्वविरति मनुष्यलोकमां, देशविरति नियैग्लोकमां (प्रतिपच ) सम्यक्त्व, श्रुत अने देशविति त्रणे लोकमां सर्वविरति तिर्यग्लोक अने अधोलोकमां, कहाचित ऊर्ध्वलोकमां. दिशावर - (क्षेत्र दिशा ) प्रतिपद्यमान तथा प्रतिपन्न पूर्वादि चारं महादिशामां चारे सामायिक होय!, एक प्रादेशिक विदिशा ओम जीवावगाहना न होart विदिशाओंम न होय, (तापक्षेत्र तथा मज्ञापकदिशा ) चारे सामायिकना afreeमान तथा प्रतिपन्न चारे दिशा तथा चारं विदिशाओमी होय (ताप तया प्रज्ञापक विदिशाओंमां महाममाण लेवाय ले. जेम भगवंतनी बार पढ़ाओ अमुक अमुक विदिशामा होय छे तेम कहेवाय छे. ) ऊर्ध्व-अधोए वे दिशाओमां सम्यक्त्व अने श्रुतनो प्रतिपद्यमान तथा प्रतिपन्न होय, देशविरति - सर्वविरनिनो 4-प्रतिपद्यमान न होय, पूर्वप्रतिपन्न ज होय ! ( भवदिशा ) एकेन्द्रियना आहे भेदोमां चारे सामायिकता प्रतिपद्यमान तथा पूर्वमपि न होय ! त्रण विकलेन्द्रियमां चारे सामायिकना प्रतिपद्यमान न होय तथा पूर्वमतिपत्र पण सम्यक्ल अने श्रुत ए वे ना होय, देश सबैविरतिना न होय, पंचेन्द्रियतिर्यचमां सम्यक्त्व - श्रुत अने देशविरतिना पूर्वप्रतिपन्न होय प्रतिपद्यमाननी भजना सर्वविरतिना प्रतिपद्यमान तथा प्रतिपन्न न होय, नारक देवता, अकर्मभूमिज, अंतरर्जीपण मनुष्यों ए चारमां सम्यक्त्व अने श्रुतना पूर्वपतिपद्म होय प्रतिपद्यमाननी भजना, विरति न होय ! कर्मभूमिज मनुष्योयां नारे सामायिकना पूर्वमतिपत्र होयज, प्रतिपद्यमाननी भजना संमूर्छिम मनुष्योमां चारे सामायिकना पूर्वप्रतिपन्न तथा प्रतिपद्यमान चेउ न होय. कालद्वार - सम्यक्त्व अने श्रुतसामायिकना प्रतिपद्यमान तथा प्रतिपा छए आराम होय है. उत्सर्पिणीना श्रीजा चोथा अने अवसर्पिणीना जीजा " १. पृथ्वी १२ ते ३, वायु ४, मूलबीज ५, स्कन्धबीज ६, अग्रबीज ७, पर्वबीज ८. शोप्रिय ९ श्रीत्रिय १०, चतुरिब्रिय ११ पञ्चेन्द्रियतिर्यञ्च १२. तारक १३, देवता १४ सम्मूर्छिममनुष्य १५, कर्मभूमिज मनुष्य १६, अकर्मभूमिज मनुष्य १७, अन्तरीपज मनुष्य १८ आ अदार भेदोमां जीवनुं परिभ्रमण होवाथी अपेक्षाये शास्त्रीय परिभाषाथी भावदिशा १८ कषाय छे.
SR No.090439
Book TitleLokprakash
Original Sutra AuthorVinayvijay
Author
PublisherSanghvi Seth Shri Nagindas Karamchand Ahmedabad
Publication Year
Total Pages629
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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