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॥ष्टियारयन्त्रकाणि 1 ॥ सामायिकचतुष्के षड्छारयन्त्रम् ॥ धार निरन्तर प्रति
| केटला भव सुधी आकर्षक | आकर्ष सामायिकनां | विरहका
पक भषमा अनं कमলাম। যশিকান্ত :
प्राप्त थाय ४ । ५ ] षमा
असंख्य
मध्यमतज २ समया ज घ०-१ भव
उ-क्षेत्रपल्यास
| सहन उ.-आपलिका
ख्येयभाग समय मामायिक
उ०-७ दिवस |'
सहल
२ प्रतसामा- ग
ज -१ ममय जप-१ भष उ-आपलिका यिक गा ७ दिवम. उ०-अनन्तभव।
जघ०-२ समय अ०.३ समय 30-क्षेत्रपस्योस
३ देशविर- जघ०-२ समय
-[जघः-१ भव 3o-आपलिका भायेयभाग. उ०-१२ विषम
तिमामा
क्येयभाग समय
प्रमाण
सहन
४ सर्षविरतिर समय ज०-३ समय जघ---६ भव मामा० | उ०८ समय उ०.१५. दिवम उ०–८ भन्न
शतपथवा
माम
॥ रष्टियार यन्त्रम् ॥ गुणस्थान स्थिति अल्पाबाहुरव अनादि अनन्त -
सम्यग्दरिथी अ. अनादि साम्त | सादि सात
मन्तगुण ३
मिध्यारष्टि
मिष्टि ३ जु । अन्तर्मुहत. | मर्यस्तोक ?
सम्यग्दृष्टि | २.४ था थी.
ज० अन्तर्मुहूर्त | मिश्रयी अन " | उ० सादिअनंत तगुण २ ॥जति समाग्यन्त्रकाणि ॥