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________________ ॥ दृष्टिछारयन्त्रकाणि ॥ । सम्यग्दृष्टिद्वारमा आवेला विचारोना यंत्रो । सम्यक्त्वना भेद. [१ प्रकारर्नु तस्वप्रारूप २ प्रकारनु स्वाभाविक, औपदेशिक. (निसर्ग) अधिगम) नैयिक, व्यावहारिक | ३ प्रकारनु ] कारक, रोचक, दीपक. अयोपशम, उपशम. सायिक. | ४ प्रकारच् | उपशम, क्षयोपशम, क्षायिक, सास्थापन, ५ प्रकारनु उपशम, क्षयोपशम, सायिक, सास्वादन, पदक. ॥सम्यक्त्वयन्त्रम् ॥ सम्यक्त्व स्थिति कटलीपार कये गुणस्थाने वृद्धि प्रतिपा० भप्रतिक पमाय. अप:-अन्ममु० असंख्य १-५-६-७ मे | वृद्धि वा प्रतिपाति क्षयोपशम उ.- साधिक ६६ मागर पार. 1 उपशम जध-अन्लमु० चार | - था थी २५ । मा सुधी प्रतिपाति उ०- , आयिक मादि अनन्त जघमन्त 30 साधिक ३३ सागर पार अप्रतिपाति ४ था धी १४ | मा सुधी | सास्वावमः जय०-१ ममय उ.-६ आवलिका . | ২ বার बीजे प्रतिमामि जघउ- समय १ वार ] ५५६-७ में | वृद्धि
SR No.090439
Book TitleLokprakash
Original Sutra AuthorVinayvijay
Author
PublisherSanghvi Seth Shri Nagindas Karamchand Ahmedabad
Publication Year
Total Pages629
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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