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________________ (११) २२ मुं ) पञ्च च ॥ ५७२ || (गतिआश्रयी भाव० इन्ये० नी त्रिकाल गोचर संख्या ) || श्री लोकप्रकाशे तृतीयः सर्गः ॥ [सा० १३० ----- -= अनारकजीवने नारकपणामां भावथो अंनं द्रव्यधी पण अनन्त इन्द्रियो व्यतीत थड़ गड़. अनं वर्तमानमां ( भावे० ) ५ तथा (द्रव्ये ० ) ८ मगर पणे छे. || ५६० || एमांना केटलाक नारकीओने भावी (दव्येन्द्रियो अथवा भावेन्द्रियो ) धवानी नथी, अनं केलाएकने पांच भने आठ इन्द्रियो थवानी छे, अन ते (५८ हथी ) एक ज बार नरकम ( जड़ मोक्षे ) जनाग़ नारकी भोनी अपेक्षाए जाणवी || ५६१ ।। तथा संख्याती बार नरकमां (उत्पन्न थड़ मोक्षे) जनारा नाकीओने संख्याती इन्द्रियो, अनं एज प्रमाणे असंख्यात तथा अनन्त इन्द्रियो पण बुद्धिमानो भावी काळमां श्रनारी विचारखी ।। ५६२ ।। तथा नारकजीवन देवपणामां (देवपणानी ) अनन्त इन्द्रियो व्यतीत यज्ञ गर, वर्तमानकाळमां नारकपणुं होवाथी देवपणानी इन्द्रिय एक पण नथी अने (देवपणानी) भावोइन्द्रियो तो पूर्व का प्रमाणे ( ५-८ अथवा संख्य असंख्य ने अनन्त ) जाणवी ॥५६३॥ तथा नारकीने विजयादि अनुत्तर विमानमां देवपणानी इन्द्रियनो जो विचार करीए तो तेवी एकपण इन्द्रिय व्यतीत थइ नथो पण भविष्यां [कच्चे ? भव करें तो) १--८ अथवा (बच्चे ये भव करे तो) १०- १६ इन्द्रियो ( अनुत्तर देवपणानी) श्रवानी है. ॥ २६४ ॥ ए प्रमाणे सर्व प्राणीओनी सर्व गतिपणे व्यतीत वर्तमान--अनं भाषी इन्द्रियो पोनानी मेळे विचारी ॥ ४६५ ।। तथा मनुष्याने मनु*यपणानी अनन्त इन्द्रियो व्यतीत थड़ गड़-वर्तमानकाळ अनं ८, अने एज भत्रमां मोक्षे जनार मनुष्योने भात्री इन्द्रिय एक पण नथी ज ॥ ५६६ ॥ मनुष्य शिवायना वीजा जीवोने मनुष्यपणा सम्बन्धि भावी इन्द्रियो जव० श्री ८ अने ८ छे, कारण तेओनी मुक्ति मनुष्यभव पाम्या विना ले ज नहि ॥ ३७ ॥ तथा अनुत्तर देवाने अनुत्तर देवपणा संबंधि इन्द्रियो वर्तमानकाळमां ५ अनं ८ले. अने जो व्यतीत थड़ होय अथवा भावीकायां धवानी होय तो पण निश्चय नेटलीज ( ५-८ ) छे. || ५६८ || कारणके विजयादि (चार) विमानमांचे वार उत्पन्न थयेलो जीव अनन्तर ( आता ) भवमां मोक्षन पामे छे, माटे एकहेली बात यथार्थ के. ॥ ५६९ ॥ तथा ( ए विजयादि देवोने) अन्यजातिपणा सम्बन्धि सुधीमां कया भव ? अथि हवं नारकी वगेरे जीवन मोक्षे असा सम्बन्धि केटली इन्द्रियों घर में अने थशे ? ते कहे नं. +
SR No.090439
Book TitleLokprakash
Original Sutra AuthorVinayvijay
Author
PublisherSanghvi Seth Shri Nagindas Karamchand Ahmedabad
Publication Year
Total Pages629
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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