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________________ २२) ॥ लोकपकाशे हतीयः सर्गः ॥ (सा० १२०) (१९५] श्री प्रज्ञापनाना मुलटीकाकारे पण काळे के " (अंगना) सर्च प्रदेशने अं. न्ते व्यापी रहेछी छ, माटे अन्दरयो (-मध्य भागा) पोकळ अने उपरथी स्पे. शन्द्रियनो सद्भाव होवायो (देहनी) अंदर पण शीत स्पर्शनी वेदनानो भनुभव थाय . ॥ ४९६ ॥ "ए हेतुथी मध्य भागमा (बचमां) शून्य अने पर्यन्ते स्पान्द्रिय छे माटे जेम कान वगेरेना पोलाणमां शीतलता अनुभवाय ले तेम देहनी अंदरना भागर्मा (पोलाणोमां) पण शीतलनादिक अनुभवाय छे. ॥ ४९७ ॥ श्रोत्र-घ्राण-अने चक्षु ए त्रणे इन्द्रियोनी पृथुना (होनाइ) इन्द्रियने अगोचर पदार्थोंने जाणनारा श्री सर्वशोए अंगुलमा असंख्यातमा भाग जेटली कही छ, ।। ४९८ ॥ रसनेन्द्रियनी पृथुता अंगुलपृथक्त्व'-बधुमां वधु ९ अंगुल) पमाण , अने म्यानेन्दिय पोलणेतानी मागा पमाण के ।। ५२९ ।। एमां स्पर्शेन्द्रिय सिवाय बीमी चार इन्द्रियोनी पृथुना आत्मांगुलवडे अने स्पर्शन्द्रियनी पृथुना उत्सेधांगुलवडे जाणवी. ।। ५०० ।। मनः--देहर्नु माप जरघांगुल बढेज होय छे माटे ते देहमा रहेली इन्द्रियो . पण उत्सेधांगुशवडे मापवीज योग्य छे. ॥ ५०१ ।। नो पार इन्द्रियो आत्मागुल वढे भने एक इन्द्रिय उत्सेधांगुलबहे ए प्रमाणे (विषमपणे) मपावी ते इन्द्रियोनी (मापणी) कम उषित कहेवाय ? उत्तर-जिहादि ४ नी होलाइ उत्सेवांगुलबरे स्वीकारनां ३ माउना मनुष्य. वगेरेने विषय जाणपणु न होय ॥ ५०२ ॥ ते आ प्रमाणे-३ गाउ बगेरेनी अवगाहनावाळ्प्रनुष्यो, अने ६ गाउ आदि पमाणवाना हस्तिो पोतपोताना देहने अनुसारे विस्तृत जिलाघाळा होय छे, ॥ ५०३ ॥ तेभोनी जो अभ्पन्नर निर्वृत्तिरूप रसनेन्द्रिय उत्से गुलना मापवडे अङ्गुल पृथक्व प्रमाण होय तो ते ५ मन्ते पटले देशमी उपरमा भने भन्दाना पहना रे २ चामहोमी अन्दरना अभय प्रतारमा ३ भा स्पर्शन्द्रिय देहना उपला भागमा भने देनो अन्दरमा भागमा पवी रीतं व्यापेष्ठी छे के जो प इन्द्रियना प्रतरने एक बाजुथी उखेडवा मांसोए तो उपरना भागनी भने बन्दरना भागनो सर्व शास्त्री उजडो आधे-अ. एचा जेम चांदीनु पुनलु बमाधी ते ने बॅटरीयो सैयार करेला सोनाना रसमां बोळसाथी जेवू सोनान गोलोट देहनी भगवरना भने पहारमा भागमां था नाप तेम पुनलाने पदावला तोनाना गीढ़ीर सरखी स्पशन्द्रिय शरीरनी प. बार भने भदरना भागा उपर उपरयो (अंगुलना असंख्यातमा भागनी नागपी) बागी गयेकी छे. प तात्पर्यशी उपरनो भाव विचारषो.
SR No.090439
Book TitleLokprakash
Original Sutra AuthorVinayvijay
Author
PublisherSanghvi Seth Shri Nagindas Karamchand Ahmedabad
Publication Year
Total Pages629
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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