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________________ - ------ -- --- -- - (२६८) ॥ संहननस्वरूपनिरूपणम ॥ (मार लिका अने छट्टु छेवठु सेवा-छेदस्पृष्ट)" वन एटले खीली ऋषभ एटले बे हाडकांने वीसाइ रहेलो पाटो अने हाडकांनो जे पटबंध ते नाराष एम कहेलले ॥ ३९९ ।। अने तेथी दरेक सांधामां जे चे हाडका (ना छेदा मर्कटबंधवहे बंधायला होय, अने पाटा सरखी आकनोवाला हाहकारहे विटापला होय, ॥ ४०. अने ते पण हाहकाने भेदीने रहेली खोलीनी आकृतिबाला हाडकावडे अतिहट ययेल होय तेज बज्रऋषभनाराचसंहनन कहेवाय. ॥ ४०१॥ वीजें जे ऋषभनाराचसंहनन ने खीली रहिन पूर्वोक्तंपकारर्नु छ, केरलाएक भा. चार्य नो ए अनासं० ने (बदले) पाटा रहिन वज्रनाराच कहे थे. ॥४०॥ जे संघयण फक्त वे हाडकांना पटवषयज दृढ थयेल छे तने श्रीपूज्यभगवन पूर्राचार्यों (अथवा सर्वज्ञो) त्रीजु नाराच नामर्नु संघयण कहे छे, ॥४०॥ जे संघयण एक बाजुधी मबंधवडे बंश्चागल होय अने वीजी बाजुए खीलोबडे जडेलु होय ते अर्धनाराच कवाय, || ४०४ ।। जे संघयणा हाटकाने मात्र खोलीचेंज बळ होय ने कीलिका नामर्नु संघयण,अने जे हाडकांना छेदाना संबंध मानवालं होय ते सेवार्स संघयण कहेवाय छे. ॥ ४०५ (पमा व्युत्पत्यर्थ आ पमाणे के के-) अभ्यंगादिक (-तैलादिवडे चोल-मसळवु-दावq इन्यादिक) मेवा वडे ऋन एटके व्याप्त (-रकी रहेना5) होय छे माद सेवात कडेवाय छे. अथवा छेद २ मर्कट पटले वांदरीन बर्नु पोतानो माने (धांदरीने) जेबो रोते बळगी रदै छे तेषीरीते हाहकांना बे छेदा परस्पर आंटी भारीने पळमेला होय सेषा बंध पटले हाडना मबंधने मकटयंध ले. ३ वे हाइकांमकटवन्धयाळा अने पाटो एणने भेदीने खोली रहेलाअहि स्वीलो प्रथम उपरना हाडपट्टने भेवीने तेनी नीचे हेला मर्कटवन्धवाळा हाहकाने पछी तेमी नीचे रहेला बीजा हाडकाने, अने पछी सब थी भीवेना हाइपट्टने भेदीने रहेली होय छे। होचाथी भेद चार तथा खोली साथे हाहवार थाय छे. ४ बर्ष भनाराचमां कहेला प्रकाग्नु ५ योजी याजुप परले प्रथम संघयणमा ज स्थाने मध्य भाग नीलो हनीन्यांज ६ अर्थात व हाडकानां च छेडामा पक छडो बोभणवाळो होय समां बीजा हाडकामो छेडो स्हेज उतरेलो होय छे. प रोते वे छडाना परस्पर स्पर्श संघवषालु. ( मेम उखलमां मुशल रहेल होय तेम आ सेषात संघसोय छे । अने उपरनां पांचे संधयणोमा हाडकानां बे छ डा यक बीजापर पदीने रहेला होय छे.
SR No.090439
Book TitleLokprakash
Original Sutra AuthorVinayvijay
Author
PublisherSanghvi Seth Shri Nagindas Karamchand Ahmedabad
Publication Year
Total Pages629
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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