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________________ (बार (२३८) ॥ लेश्यास्वरूप मनविचारनिश्चयः ॥ जीव महामोधी होय छे. ॥ २८८ ॥ ए प्रमाणे जो चाय पदार्थोमा पण कर्मनो - उदयादिरूप (पायोदय सामर्थ्य) देखाय छे तो योगान्तर्गत (लेश्या) द्रन्पोमां ते सामर्थ्य केम न देखाय ? ॥ २४९ ।। झानावरणकमनी चदय करवामां मदिरा पगेरे, अने दर्शनावरण कंपनी उदय करवामां दहिं बगैरे, सधा पानापरणमो क्षयोपशम प्रगट करवामां वाली वनस्पति वगेरे. अने दर्शनावरणनो क्षयोपशम प. गर करवामां बज विगेरे जेम कारणरूप मे.तेम कषायने उद्दीपन करवामा लेश्यान्य कारणरूप के. ॥ २९० ॥ अने ए प्रमाणे लेश्याओयी फषापर्नु नहीपकपणुं हो ते छते पण लेश्याओगें नहपपणुं (कपाथात्मकना) यतुं नधी अने जो तेमन याप सो अकपायी (११-१२-१३ मा गुण वाला) जीवोने लेश्यानो अभाव याय ॥ २९१ । लेपा ए कनिःस्यद (कर्मनो विकारमाच) छे एम केटलाएफ कहे ते पण असार छे. कारणके जो कर्मनिस्पंद छ तो ते कया कनो निःस्यद छे ! ।।२९२ ॥ जो कहो के ए नि:स्यद यथापोग्य आहे कर्मनो छे, तो चार कमवाळा अयोगी भगवानने पण ते लेश्याओनो सद्भाव होय. ॥ २९३ ॥ बळी जो कहो के घानीफर्मनी क्षय यायी अयोगीने ते लेश्याभो मानेली नथी तो ते घाती कर्मना क्षपयीन सयोगि केलीओने पण लेश्याभो न होय. २९४ ( मा रत्तरोनुं समापान रहेवा दह बादीए पुनः प्रश्न कर्यों के) प्रश्न-श्याओ योगपरिणामी होते छते ते सेश्याओ कमना प्रदेशबंधांज कारणभूत होय, परन्तु कर्मनी स्थितिमां कारणरूप न होय ॥ २९५ ॥ कथुके के-" प्रकृनिबंध अने प्रदेशबंध योगथी करे के, अने स्थितिबंध तथा अनुभागबंध कषायपी फरे है." वचनथी. ( लेश्या प्रदेशबंधमां कारण भूत होप.) उत्तर-लेश्याओने कमेनी स्थितिमा कारणभून कोइपण मानतुं नयी कारणके कर्मनी स्पिनि बांधवामा नो कषायोज कारणरूप कहेला छे. ॥ २९६ ।। परन्तु कषायमा अन्तर्गतपणे रहली वेश्याओ से कषायोने पुष्ट करनारी होवाथी कपाय स्वरूपवाळी घइ छती अनुभाग प्रत्ये कारणभून गणी अकाफ. ( परन्तु स्थितिधर्मा लेश्याओ कारणिक न गणाय.)॥२९७॥ए कारणथी कोइफ ठेकाणे लेश्या- । मोने अनुभागबंधा कारणभूत कही है, अने श्रीशिवशौमार्यकृत शतक . १ अर्थात् मदिरा पोसाथी ज्ञान मन्द थाय छ. अमै वा वाघाची निद्रा अधिक आवे छे तथा बानी बनस्पति खाधापी बुद्धि-शाम बधे छ, भने बज खाचाथी उन ओछी थाय छे.
SR No.090439
Book TitleLokprakash
Original Sutra AuthorVinayvijay
Author
PublisherSanghvi Seth Shri Nagindas Karamchand Ahmedabad
Publication Year
Total Pages629
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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