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( १९८) ॥ संस्थानबारे समचतुरसादिसंस्थान विचारः।। ॥ २६३ ॥ चोथा (म्युच्छिमक्रिया अप्रतिपाती नामना) शुक्लध्यानने भ्याचना घेदनीय-आयु नाम-अने गोत्र ए चार कर्मने समकाळे शीघ्र खपावीने भगवान् सिद्धि पद पामे छे ॥ २६४ ॥ वळी जिनसमधात कर्या विना पण अनंत केवली मोक्षे गया,अने समुद्घात करीने पण अनंत केवली मोक्षे गया है.॥२५॥ अहि विश्वेष ए ले के-“६ मासयी अधिक आयुष्य चाळो जे जीव केवळयान पामे ते समुदघान करे अने वीजा केवळीसाधान करे अथवा न पण करे" ॥१॥ ए रीते गुणस्थानकमारोहमा कयुं छे, अने एनी वृत्तिमा कयु के "६ मास माया मासी गरे गोने केवलमान उत्पम ययुं होय ओ निश्रयथी समुद्घात करेज, अने शेष जीवोने मयातनी भजना ( करे अथवा न पण करे एम) जाणवी॥शाए प्रपाणे केवलिसमुद्घातर्नु स्वरूप का. ॥ कया जोवो कइ समुद्घात केटलोवार करे ? ते कहे ठे ।।
प्रथमना पांच ( आहा. जिनसमु. विना ) समुद्घान यथायोग्यपणे सर्व जीवोए अनंनवार अनुभवेला छे. ॥ २६६ ॥ अने आगामी ( भविष्य ) काळपां केरठाएक अल्पकर्मी जीचोने ते समुद्घातो थवाना नयी अने केटलाएक जीवोने एक वे इत्यादि अनेकवार यावत् संख्यान अने असंख्यातबार अने केटलाकोने अनन्तवार थवाना छे पहुकर्मी भीवीने तो यथायोग्यपणे सर्व जातियोमा (भवोमां) अनंतवार समुद्घान धनारा के एम जाणवू ॥२६७-६८।। परन्तु विशेष एछ के-भूक्ष्म निगोद जीवोए निगोदने विषे (ये० ० अने प०, ए प्रण ससधातज भूतकाळे अनन्तीवार अनुभच्या छे, अने भविष्य काळम उपर कडा मजव) सर्व जीवत् जाणवू, ॥२६९॥ तथा मनुष्य सिवाय वीजा केटलाएक जीबोने मनुष्य भवमा ३ वार आहारकसमुद्घात भूतकाळमां व्यतीत यश अने (जे
ओए कोइकाल पूर्व आहा०स० करेल नयी नेओने) भविष्यमा चारंवार कराना होय छे पण अधिक नहिं ॥ २७० | बळी मनुष्योए मनुष्य भवमा अनुभषेला आहाउसम. चारबार होय छे, अने ( न करी होय तेवा ) मनुष्योंने मनुष्य भवमा भविष्य काळे पण तेटलीज बखत ( चार.
१ अर्थात् सर्व जीवानी पेठे एक पं यावत् अनंतबार अनुभषधामा छ.
२ में मनुष्ये धणधार करी लीधा तेने एकवार अने मेओप आहा०ममु. कोज नयी तेवा बीमा मनुष्य सिंधायमा जोषोने ४ बार करवाना होय छे. कारणके भाखा भवचक्रमा आधा समु० ५ वारम थाय छे,
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