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(कारो)
(६ द्वारो।
शरीरमां | अषगाहना केटला आकाश नाम ६ |
प्रदेशमा ७
स्थिति ८
अमण्यस्व | अन्तर अनेक | 30 अम्तर (देड संख्या) | जीव आअयि(पकजीवाणि
वधी असं
- साधिक औदारिक ।
योजन
भाहाथी संरूपानगुण प्रदेशो
जघ० -भातमुहूर्त उत्कृष्ठ -३ पल्योगम
अन्तर न | अन्तर्मु. म.
धिक ३३ सागर
ख्यगुण
होय
॥ शरीरद्वारे ? निद्राग्यन्त्रकम ॥
साधिक
अन्तर न
ओबात थी | जय .-10000 वर्ष) मून क्रिय
उ० ३३ माग प्रदेशो | अघ. - अन्नमु । उत्तर ०
उ: - मास
असंख्य
योजन
आवक्षिकाना असंख्याता भाग जेटली | पुद्गलपरावत
|| माहारक । र हाथ
असंख्य आकाश! जय - अन्तर्मु. प्रदेशोमा उ. अन्त ०
९००, जघ-समय| | पुदगल ( शाचित् .उ.- ६ मास | परावत
संपूर्ण लोका-वधी असंख्य
भव्यने-अनादि साम्स तंजा । काश
गुण आकाश प्रदेशमा
। अभव्यने-मनादि अगस्त
।
अनंत ।
अन्तर न होय ।
अन्तर नयी
(828)
ते तुल्य