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___] || लोकमकाशे तृतीयः सर्गः ॥ (सा० ७३) (१७५ )
(मांगनाओ साये ) विषय सेवा करनारा, अने पोनानी कायाबडे मनोहर क्षेत्रांगनाभोने पण सर्व नहि करनारा अने क्षीण धयेली विषयेच्छाकाळा पचा आनतादि देवोनी पण मनुष्य स्त्रीयोने आश्रयि जो आवा प्रकारनी विटंबना के लो अो! महाद। पाम के दुःखे करीने निवारण करी शकाय तेषा कामदेवने जीतवा माटे जगनमां कोण समर्थ छ ? ॥ २७७ ॥ वली ए आनतादिदेवोनी अ. धोलोकमां उत्कृष्ट से अवगाहना अधोग्राम सुधी, अने तिर्यग्लोकमां मनुष्यक्षेत्र सुधीज छे, कारण के त्यांची आगळ मनुष्यउत्पत्तिनो असंभव छे. तथा ऊर्चलोकमां मिश्नी सहायथी अच्युनदेवलोकसुधी गयेला आनतादि देवोनी ने अवगाहना त्यां मरण पापवाथी अच्युतकल्प सुघीनीज गणाय छे. ॥ १०९. ॥ अने अच्युन देवोनी ऊर्वत अरगाहना पोमाना विमानना शिखर सुधी होय छे. कार• णके पोतानी इच्छाए त्यां गयेला पवा केटलाएक देवोनु त्यांज मरण संभव . नव वेयक अने अनुत्तर देवोनी जघनं अवगाहना पोताना स्थानथी मांडीने ( वनाढयपर्वतपर ) विद्याधरनी श्रेणी सधी दीर्घ होय है, ॥ १८ ॥ कारणके विद्याधरनीणिथी आगळ (ऊर्ध्व दिशाए।मनुष्योनीवस्ती नधी,अने अवेगकादिदेवो पण अहिं मनुष्यलोकमा आवमा नयी, माटे जघन्यथी पणनै अव तेटलीन होय. तथा ए देवोनी अधोलोकमां ऊस्कृत अवगाहमा अधोग्राम सुधी भने उतै अब० पोताना आश्रयस्थान सुधी (विमानमा ज्यां उत्पम येल के स्यांज होय छे. अने तीच्छी त० अवगाहना पुनः मनुष्यक्षेत्रमुधीनीज कहली छे. १८३ बळी जोके विद्याधरो पोतानी स्त्री सहित नंदीश्वरजीप सुधी जाय छ, अने कामना पाणवडे जीतायला ( पटले कामातुर धया छता) त्यांज स्त्रीसंगप पण करे छ, ॥ १८४ ॥ परन्तु मनुष्यक्षेत्रनी चहार कोइपण मनुष्प गर्भमा उत्पम थनो नथी माटे ए वोनी नीझै उत्कृष्ट अवगाहना मनुष्यक्षेत्र सुधीज कही छे.१८५
१ प्रवेयकमा उत्पन्न थयेला देवो पोताना विमानमांज अने पोतानी शय्यामा रया छत्तांग मरण पामता होषापी प्रथेयकदेवांनी ऊर्य भषमादमा समधान सुधी कही, अने अमुत्तर देवो तो पीतामी शरयामां सता छतां किं. चित् मात्र धालता चालता पण नथी माटे तेओनी पण ऊर्व तर अवगाहना स्वामय स्थान सुधोज छ,
२ अर्थात् २॥ द्वोपनी यहार विषाधरी भीमंगम करे पण गर्भ रहे महिं अगादिमियति.
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