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(१७४) ॥ देवानांमरणान्नसमुदातेतैमसफर्मणावगादविचारः॥ (बार वीरादिदेवनी पूर्वभवनी संवधवाळी स्त्रीने प्रथम कोई मनुष्ये भोगवी होय अने स्यारवाद प्रेमने वश थयेलो एषो कोई सनत्कृपारादि देव ते ॥ १६४ ॥ स्त्रीनी पासे आची नेना अवाच्यस्थानमा ( तेनी योनिमां ) पोनाना अबाच्य स्थानने (लिंगने ) नाखतो छतो अने आलिंगन करीने रणो छनो ( तेवीन स्थितिमां) मरण पामी ने स्वीनाज गर्भमां उत्पन्न थानोपण जप. आगमाना मा. लनाअसंख्पानपा भाग जेटली होय. ॥ १६५ ॥ तथा ए सनत्कुमारादि देखोनी उन्का अरगाहना ( स्वस्थानधी) अधोलोकर्मा पाताल कळशनी अंदर मध्यमतृतीयांश भाग सुधीनी छे, कारणके मत्स्यादि गर्भज जीनी त्यांमुधीज होय छे, ॥ १६६ ॥ तथा सिछी तैनस अवगाहना स्वयंभूरमण समुदना छेडा सुधीनी छ, अने ऊर्च ते० अवगाहना १ मा अच्युतदेवलोक सुधीनी छे. तेनी भावना आ प्रमाणे ॥ १३७॥ कोइक अच्युन देवळोकमां रहनारा देवनी सहायरडे त्यां गयेलो सनत्कुमारादिदेव जो त्यांज मरण पामे वो मनत्कुमारादिनी उतै अवगाहना तेटली पर शके. ॥१६८॥ पन पद्धनिए आठमा सासार देवलोक सुधीना देवोनी मघ० -मध्य-ने बन्कु. तेजस अवगाहमा विचारवी. ॥१६९|| आनतथी अत्युतकल्पसषीय देवलोकना देवोनी जघ० ते अवगाहना अंगुलना असंख्यातमा भाग प्रमाणनी छे॥१७०॥पन्न:-भानहादि देवो मात्र मनुष्योमांज उत्पन्न पाय छ, भने मनुष्यो सो मनुष्यक्षेत्रमाज होय छे तो ए देवोनी जय ते अव. अंगुलना. असं० भाग प्रमाणनी केप होय ? ॥ १७१ । जवाष-ए देवोनी पूर्वभवनी अतिप्रेमवाळीतीने मपम कोइ पमुष्ये भोगवी होग अने ते वास अवविहानथी जाणीने प्रपना पाशवडे बंशप को ने देव मृत्यु नजीक अ लु होवाथी बुद्धिनो फेरफार थां, विषयइच्छाना मलिनपणाथी, अने कर्मनी गति विचित्र होचायी अहिं आवीने ते स्त्रीने गादप्रमथी आलिंगन करीने वेना अाध्यमदेशमा पोताना अनान्य अवयवने प्रक्षेपीने पोताना आयुष्यनो क्षय यवाथी मरण पामे,अने परण • पापीने ते देव जो तेणीनाज गर्भमां उत्पन्न शाय नो आननादि देवोनी जघते. अवगाहना अंगुलनाप्रसं०भाग प्रमाणनी पाप्त थाय के ॥ १७५ ॥ मन मात्रधीज - ५ देवना वेकिय पायी गीति यती नथी माटे “ प्रथम कोई मनुध्ये भोगो होय " एम काय छे.
३ " ग्यारवाद" पटले २४ घडीनी अंदर कारणके २४ थी धया वाद बीमा गर्भाशयमा गई बोय जीषोम्पलिमे भयोग्य पा आप छे.