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________________ (१६८) ॥एकेन्द्रियादीनां मरणान्नसमुन्याते संजसकामणावगाहविचारः।। [दार पार वरखने तैजस शरीरनी. अवगाहना होळाइमां अने जाडाइमां मो सर्व प्राणी. अोने पोन पोनाना भवधारणीय शरीर जेटली न छे, १३.४ ॥२परन्तु दीर्घनामांमैबाइमा सफावन के ने ा प्रमाणे- ( परण ममुद्घासमां ) पकेन्द्रिय जीवोने नेजसनी अवगाहना जघन्यथी अंगुलना असंन्यासमा भाग प्रमाणनी छे. ॥१३॥ अने उत्कृष्थी लोकना पछेहाथी बीजा छेडा सुधी (१४ राज प्रमाण ) लांची कहेली से,कारणके एकेन्द्रियजीवोनी उत्पत्ति ए प्रमाणेज (पटले सानपी पृथ्वीपां रहेको सूक्ष्म प्रथ्वि कायादि जीव मरण पामीने ऊर्ध्व लोकने अन्ते सू० पृथ्व्यादिपणे संपले ते अनुसारे) के ॥१३६।। (ए हेतुथी प्रथम ज)सर्व जीवोनी मामान्य. पणे रौनसनी अवगाहना लोकना एक दाथी बीजा हासुधी(कमी)ले ने पण आ पकेन्द्रिय जीगेनी महाए ज पागली. ग्य; विकलेन्द्रियोनी ते ०नीभाय अगाहना अंगुलना असंख्यानपा भागप्रमाणनी दर्शाती के. ।। १३८ ।। अने तेश्रोनी उत्कृष्ट अवगाहना तिर्यग्लोफयी लोकना छेडामृधीनो छ कारण विकलेन्द्रियोनी उत्पसि मात्र तिर्यग्लोकमांज छे, ॥१३९॥ जो के अधोलोकमां पण अधोंग्रामने निणे वावदीओ विगेरेमा, अने ऊर्ध्वलोक पांडुकरानमा रहेली बार तथा द्रहो विगेरेयां ॥ १० ॥ विकलेन्द्रिय जीवोनी उम्पत्ति छ पग्न्नु मित्रांना स्वस्थाननी अपेक्षाए ( पटले विशेषमः उत्पत्तिस्थान निर्यग्लोक न छे माटे ) तेोर्नु उत्पत्तिस्थान निलोकन कईल छे. ॥ १४१ ॥ अने ५ कारणथी (अधोग्राम भने पडिकवनमा गण उत्पत्ति होवाथी ) तेश्रोनी उन्कृष्ट अवगाहना अधोग्रामथी अने पांडुकवनधी लोकना छेडा मुधी पण गणी शकाय ।। १४२ ॥ सातिरेकं योजनानां, सहस्रं स्याजघन्यतः। नारकाणां तेजप्ताव मूळवेशमाथी मारमा ज्यारे बहार निकली उत्पत्ति स्थान सुधी छया. प, ते बनतं भात्मप्रदेशोनी मणि मुळदे जेटली ज पडोकी भने नारी होय छे. २ मे पर्यननी तलाटीथी : ममभूतलाश्वोयी ] पधिममहाविदोनो १६ विजयामी मूमि कंडक काक मीची उतरती गा र तेथी पनिममहाधि शनी की ये विजय मेहनी तलेटीनी सपाटीशी १०० जोजन नीमा प्रदे. शमा भाषेली , अने तोमोलोकनी मर्यादा नीचे ९ . जोजन सुधी छ, माटे गये विजयनी भूमि अधोग्राम तरीके गणाय छे. ३ कपर्वत १ लास्त्र याजम उंचो दोषाथी लेना शिखर पर आबेलु पाहुकचन पण ऊर्यलोकमा , गणाय.
SR No.090439
Book TitleLokprakash
Original Sutra AuthorVinayvijay
Author
PublisherSanghvi Seth Shri Nagindas Karamchand Ahmedabad
Publication Year
Total Pages629
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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