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________________ -.......... -- ...-- - - ॥ पर्याप्तिहारविशेषनर्णनम् ॥ त्यां जे शक्तिबहे पोताने उचित आहार प्राण फरी खल रस पणे अलग परिणाम पमाडे ते शक्तिर्नु नाम आ आहार पर्याप्ति कहेवाय. ।। १७ ।। पुनः जीव वैकिप-आहारक-अने औदारिक देखने योग्य रसरूप थपेला आहारने वे शक्तिरडे रस-कषिर-मांस-मेद-अस्थि-मज्जा अने वीर्य प सात धातुपणे पथायोग्य परिणाम पमाडे ने शक्तिन नाम देह पाप्ति कहेवाय. ॥ १८--१९ ॥ तथा धातुपणे परिणमेला आधारमाथी जे पुद्गलो इन्द्रियपणे परिणवाने योग्य पोय तेषां पुद्रको ग्रहण करीने अने यथायोग्य इन्द्रियपणे परिगमायीने ते इन्द्रियना विषय माना जीव जे शक्तिरडे समर्थ पाय ते शक्तिने सोझोए इन्द्रियपर्याप्ति ए नामवाळी कही , ए संग्रहणी वृत्तिनो अभियाय कयो । पनवणा-जीवाभिगम-अने प्रवचन मारोदारनी पृत्ति विगेरेमा लो-"जे शक्तिवडे धातुपणे परिणमेला आहारने इन्द्रियपणे परिणमावे से इन्द्रिय पर्याप्ति" एटलज कहेलं जणाय छे. जे शक्तिवहे श्वासो. १ औदारिक देहयाको औदारिक योग्य अने किय पर आहारक देह. वाळो जीव वैफिय षा माहारक योग्य २ प्रथम ममये आहारन ग्रहण तंजस कार्मण काययोगबरे होय है. माटे भाचारमी प्राणशियामां आहार पर्यादित अवान्तर हेतु रूप छ, परम् कार्मण-वा मिय--वा औदारिकादि कापयोगषटे गृहीत आहारने शरीर बनी शके सेषी पोग्यताधाको करबो प आधार पर्याप्तिर्नु मुरुप कार्य के. ३ अहं बाल रसमो सामान्य अर्थ "गृहीत आहारमाथी शगेर बनी शकवा जेपी शनिवाळा आदारने शरीर बनी शके तेवो करतो, अने शरीर नहिं धमी शके पषा अयोग्य आहारने तेथी अलग करी देषी " एमी करतो, अथी प अर्थ पणे शरीरली आहार पर्याप्तिमा घटतो आये छे, अन्यथा म्धूल पष्टिपल रसनो अर्थ मळ अन रस विचारीप तो औदारिक देह मित्राय वैक्रिय अन्ने आहारक देह संधि आहार पर्यादितमा लागु पडी शके नहि. ४ औदारिक देह स्वषामा जेम ६ पोस्नियो करी पडे हे तेम मूक बैंक्रिया उत्तर किय-अने आहारक देह रखवामां पण छप पर्याप्तियों करवी परे माटे "प्रणे देने योग्य" स्यादि कहेलं छे. ५५ मात धातु मात्र औदारिक देह धारीनेज होय छे, परन्तु पौयं पातु मूल वैकिपशरीरने पण होय . अने आहारक शरीर प सात धातु रहित छे, माटे ५ त्रणे देहनी शरीरपर्याप्तिमां साधारण अर्थ पने के . जे शकिषः जीव आहारारा प्रहण करेल पुगको, स्वस्थयोग्य शरीर रचे ते शनि शरीरपर्याप्ति कवाय".
SR No.090439
Book TitleLokprakash
Original Sutra AuthorVinayvijay
Author
PublisherSanghvi Seth Shri Nagindas Karamchand Ahmedabad
Publication Year
Total Pages629
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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