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॥ लोकप्रकाशे उनीयः सर्गः ॥ (मा० ५१) ३ पर्याप्ति-(फया जीवने केटली पनि) ४ योनिसंख्या-(कया.जीवना केटला उत्पत्ति स्थान के ?) ५ कुलसंख्या-(कया जीवना केटलां कुल छे?) ६ संकृतादियोनि-(संवृत-विन-ने संकृतविचत तथा सचित्त-अचित्त-ने मिश्र, तथा कुर्मोन्नता, शंखावत-ने वंशीपत्रा र त्रण प्रण प्रकारनी योनिमांची कया जीवने कर योनि ?) ७ भवस्थिति-(कया जीवनु केटलु आयुष्य ?) ८ कायस्थिति-( यो जीव स्वकायमा केटको काळ रहे ! अर्थात् तेनी ते
कायपणे लागलागर ( निरन्तर ) केटलीरार उत्पन्न पाय ?) ९ देह-(कया जीवने केटला शरीर ?) १० संस्थान-(कया जीवना शरीरनो आकार केवा छक्षण बाळो होप १) ११ अंगमान-( कया जीवन शरीर केटल मो? होय १) १२ समुद्घात ( कया जीवने फेटकी समुद्घात होय ?) १. गति ( यो जीव कइ गनिर्मा उपजे ते गनि,) १४ आगति-( कयो जीव कई का गनिर्माथी आवे ?) १५ अनन्तरासि-( विवक्षित भवमांधी नीकली मनुष्यभवमा उत्पन्न थयेला
जीवने सम्यक्त्वादि कयो लाभ पाप्न थइ शके १) १० समयसिद्धि-( कया भवमाथी निकली पनुष्यगतिमा भाषेळा जीप एक
समयमा केटला मोक्षे आय ? ) १७लेल्या ( कया जीवने केटली लेश्या ?) १८दिगाहार ( कयो जीव कइ कह दिशीमांधी आव्यो थाहार ग्रहण करे!) १९संघयण (कया जीवने फयु कयु संघयण होय ?) २०कषाय ( कया जीवने केटला कषाय ?) २१संज्ञा (आहारादि संबानी कया जीवने केटली संझा ?) २२इन्द्रिय ( फया जीवने केटली इन्द्रिय ?) ४३संशित (दीर्घकालिक्यादि ३ संझामांनी कया जीवने केटली सहा !) २४वेद (फया जीवने केटला घेद ?) २५दृष्टि ( सम्यगृदृष्टयादि ३ दृष्टिमांथी कया जीवने केटली दृष्टि ?) २६ज्ञान ( आठ ज्ञानपाथी कया जीवने केटलां मान ?)