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________________ ॥ श्रीलोकप्रकाशे छिनीयः सर्गः ॥ (सा० ३२) (१०३ )_ अर्थ-रोग मृत्यु अने वृद्धत्वादिक पीहारहित, अने कारणरूप कर्मना अभाषे जेम पोज बळी गये छते अङ्कुर जगतो ना तम पुनः संसारमा नाई उत्पन्न पना एवा सिद्ध परमात्मा छे. ८२॥ तथा जेटलं (४५ लाख योजनवृत्त विस्नास्वालु)मनुष्यक्षेत्र छे. तेटलाज प्रमाण वालुमुक्तिक्षेत्र (मोक्षस्थान) पण छे. कारण के-जे सिद्ध ज्या काम करे छे. त्यांधीज ऊर्ध्वसमणिए जइने ते सिद्ध पाय के. ॥ ८३ ॥ पुनः ते सिधभगवन्तोए ऊर्वसमश्रेणिप जइने अलोकान्तने (लोकना अग्रभागने ) अलंकृत करेल छे, अने ज्यां एक सिद्ध होय त्या अ. नन्तसिद्ध पण कोइपण बाधा-पीहा रहित मुखपूर्वक रही शके छे. ॥ ८४ ॥ श्री तत्त्वार्थभाष्यमा का छे के -“जेम बनी गयेला कावाळो अग्नि अपादान कारणरूप काटना समूह विना स्वयमेव निर्वाण पामे छे ( अर्थात - झाइ जाय छे, तेम सिकपरमात्मा पण सर्वकर्मना क्षयथी ऊर्ध्वगलिए निर्वाण पामे छे. ॥ ८५ ॥ जेम पीन बळी गये छते अंकुर प्रगट थनो नयी तेम कर्मचीज बळी गये छते जन्म अंकुर जगतो नथी ।।८६ अने तदनन्तर (कर्मक्षय यया पछी तुर्वज ) ते सिद्धपरमात्मा पूलप्रयोग- असंगत्व-बन्धछेद--अने ऊर्यगौरववाडे लोकना अन्तमुधी ऊर्ध्व ( उंच उपर ) जाय . ॥ ८६ ।। (पूर्व प्रयोग हेतु दृष्टान्त १ ) कुंभारना चक्रमां--हिंडोलामां--भने धाणमां पण बेषा प्रकारे पूर्व प्रयोगधी क्रिया (गति) देखायो . तेम अहि पण (पूर्व प्रयोगथी) सिद्धोनी गनि कहेली छे,11८७॥(असंगहेतुदृष्टान्तर) जेम माटी विगेरेनो लेप उखरी जवाथी पाणीमा तुम्बडानी ऊर्ध्वगति देखाय छे, तेम कर्मसंगना स्वाथी सिद्धोनी कर्वगति कहली छे, ||६८॥धछेदहेतुहष्टान्त) तथा परंडाना फक-यन्त्र--अने पेडामा बन्धनना छेदथी जेम (एरंडनां बीज वगेरेनी] गति याय छ, तेम फर्मबन्धनना विच्छेदथी सिडनी पण गति थाय छे ॥ ८९ ।। (अर्थात् १ प्रथम दंड नाखीने चक्र फेर त्यारषाय दंड काढी लीपा छतां पण चक्र फर्याज करे सेम २ प्रथम डायथी हलाव्याबाट पण हिंडोळो स्वतः झुल्या करे तम. ३ प्रथम धनुष्यमा महायता प्रयत्न फग्यो पढे ने अनुमाथी गुटबा. बाद प्रथमना प्रयत्न वडेज मीधि दिशामां पर-जाय तेम, ५ षडापर धणी माटीनी लेप करी पाणीमां नाखे तो इनी नीचेज बैसे परन्तु पाणीमां माटी पलाम्याचा जेम जेम लेप उतरती जाय तेम तुंबडं चुं आवत जाय अने सर्व लेप धोया गया बाद तहन पाणीना उपर आवी जाय सेम.
SR No.090439
Book TitleLokprakash
Original Sutra AuthorVinayvijay
Author
PublisherSanghvi Seth Shri Nagindas Karamchand Ahmedabad
Publication Year
Total Pages629
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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