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माणुस्साणं ॥ १२ ॥ तसिं पविसंताताधक्खेत्तं तु घड्ढए नियमा । तेणेव कमेण पुणो परिहायड निक्खमंताणं ॥ १४ ॥ तेसिं कलंबुयापुप्फसंठिया होइ तावस्खेत्तपहा । अंतो य संकुया बाहि धि. स्थडा चंदसूरगणा ॥ १५॥ केणं वहति चंदो परिहाणी केण होइ चंदस्स । कालो वा जोहो घा केणऽणुभावेण चंदस्स?॥ १६ ॥ किण्हं राहुविमाणं निचं चंदेण होह अधिरहियं । चउरंगुलमप्पत्तं हिहा चंदस्स तं चरह ॥ १७ ॥ घावहिं बावहि दिवसे दिवसे उ सुकपक्खस्स । जं परिवहइ चंदो खवेइ सं येव कालेणं ॥ १८ ॥ पन्नरसइभागेण य चंदं पन्नरसमेव तं वरह । पन्नरसाइभागेण य पुणोवि तं चेच तिक्कमइ ॥ १९॥ एवं वहह चंदो परिहाणी एष होइ चंदस्स । कालो वा जोपहा था तेणणुभावेण चंदस्स ॥ २०॥ अंतो मणुस्सखेत्ते हवंति चारोषगा य उववण्णा । पञ्चविहा जोइसिया चंदा सूरा गहगणा य ॥ २१॥ तेण परं जे सेसा चंदाइश्चगहसारनक्खसा। नस्थि गई नवि चारो अवढ़िया ते मुणेयव्वा ॥ २२ ॥ दो चंदा इह दीवे चत्तारि य सागरे लवणतोए । धायहसंडे दीवे यारस चंदा य सूरा य ॥ २३ ॥ दो दो जंबूहीवे ससिसूरा दुगुणिया भवे लवणे । लावणिगा य तिगुणिया ससिसूरा धायईसंडे ॥ २४ ॥ धायइसंडप्पभिहे उद्दितिगुणिया भवे चंदा । आइल्लचंदसहिया अणंतराणंतरे खेत्ते ॥२५॥ रिक्खग्गहतारग्गं दीवसमुद्दे जहिच्छसे नाउं । तस्स ससीहिं गुणियं रिक्वग्गहतारगाणं तु ॥२६॥ चंदातो सूरस्स य सूरा
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